इंग्लैंड का यूरो कप पर कब्जा कर 55 साल का सूखा खत्म करने का सपना टूट गया. यूरो कप के फाइनल में इटली ने इंग्लैंड को मात देते हुए कप अपने नाम कर लिया. इटली ने पेनेल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर कप अपने नाम किया.बता दें कि इंग्लैंड की फुटबॉल टीम रविवार को यूरो फाइनल 2020 मुकाबले में पिछले 33 मैचों से अजेय रही इटली के खिलाफ अपने घरेलू मैदान पर पर 55 साल का सूखा खत्म करने के लिए उतरी थी. इंग्लैंड 1966 में विश्व चैम्पियन बना था और टीम उसके बाद किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही है. फाइनल में उनके सामने यूरोप की सबसे सफल टीमों में से एक है जिसने विश्व कप का खिताब चार बार जीता है. वहीं इटली की ये 34वीं जीत रही.
इटली के अनुभवी डिफेंडर जियोर्जियो चिलिनी ने मैच से पहले कहा था कि देश के लिए ट्रॉफी जीतने का दबाव आपके और टीम के लिए प्रेरणा हो सकता है. यह करियर के आखिरी पड़ाव पर और अधिक प्रेरणदायी होता है. उन्होंने कहा, ‘‘शायद 36 साल की उम्र में आप इसके महत्व को और अधिक महसूस करते है. आप जानते है कि यह कितना कठिन है और इसमें कितनी मेहनत करनी होती है.''
इटली की चार विश्व कप जीत में से आखिरी सफलता 2006 में मिली थी. चिलिनी ने उससे पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण कर लिया था, लेकिन वह विश्व कप की टीम का हिस्सा नहीं थे. टीम का हालांकि यूरोपीय चैम्पियनशिप में प्रदर्शन उतना दमदार नहीं रहा है, जहां उन्होंने इकलौता खिताब 1968 में जीता. इटली का टूर्नामेंट का पिछला रिकॉर्ड हालांकि इंग्लैंड से बेहतर रहा है. हाल के वर्षों में टीम दो बार 2000 और 2012 में फाइनल में पहुंचने में सफल रही है. इंग्लैंड इस खिताब के इतने करीब पहली बार पहुंचा था.
यूरो 2020 जीतना साउथगेट के लिए पुरानी चूक को सुधारने का मौका भी था. 1996 में वह जर्मनी के खिलाफ पेनल्टी को गोल में बदलने से चूक गये थे, जिससे इंग्लैंड को फाइनल में जगह बनाने का मौका नहीं मिला था. चिलिनी ने मैच से पहले ये भी कहा था कि शुरुआत में, जब उन्होंने (कोच) हमसे कहा कि हमारे दिमाग में यूरो जीतने का विचार है, तो हमें लगा कि वह पागल हैं. लेकिन उन्होंने इन वर्षों में ऐसी टीम तैयार की जो खिताब से एक कदम दूर है.''फाइनल जीतकर ये सपना पूरा भी किया गया.