Asian boxing: पूजा ने भारत को दिलाया पहला स्वर्ण, मैरी, लालबुतसाही और अनुपमा ने जीता रजत

75 किग्रा में पूजा रानी अपना खिताब बचाते हुए भारत को टूर्नामेंट का पहला स्वर्ण दिलाने में सफल रहीं. शेष भार वर्ग में एमसी मैरी कोम, लालबुतसाही और अनुपमा को हार मिली. 

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गोल्ड पदक विजेता पूजा रानी (बाएं), पदक के साथ मैरी कॉम (दाएं)
नई दिल्ली:

भारतीय महिला मुक्केबाजों ने दुबई में जारी 2021 एएसबीसी एशियाई महिला एवं पुरुष मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रविवार को चार भार वर्ग के फाइनल में हिस्सा लिया, जिसमें से सिर्फ 75 किग्रा में पूजा रानी अपना खिताब बचाते हुए भारत को टूर्नामेंट का पहला स्वर्ण दिलाने में सफल रहीं. शेष भार वर्ग में एमसी मैरी कोम, लालबुतसाही और अनुपमा को हार मिली. 

भारत ने बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) और यूएई बॉक्सिंग फेडरेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में कुल 15 पदक जीते हैं, जिनमें एक स्वर्ण, तीन रजत और 8 कांस्य हैं. पुरुष वर्ग में तीन खिलाड़ी फाइनल में पहुंच चुके हैं और उनका कम से कम रजत पदक जीतना तय है. पुरुष वर्ग में मौजूदा चैम्पियन अमित पंघल,  अब तक इस टूर्नामेंट में पांच पदक अपने नाम कर चुके शिवा थापा (64 किग्रा) और संजीत (91 किग्रा) सोमवार को अंतिम बार एक्शन में दिखेंगे. 

भारत को दिन की पहली बड़ी सफलता पूजा रानी ने दिलाया. वह एशियाई चैम्पियनशिप में अपना खिताब बचाने में सफल रही हैं. पूजा ने 75 किग्रा के फाइनल मुकाबले में उजबेकिस्तान की मावलुदा मोल्दोनोवा को एकतरफा अंदाज में हराते हुए भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया. साल 2019 में खिताब जीतने वाली ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकीं पूजा रानी ने मोल्दोनोवा को 5-0 से हराया. 

हरियाणा के भिवानी की पूजा का एशियाई चैम्पियनशिप में यह चौथा और लगातार दूसरा स्वर्ण पदक है। इंचियोन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीत चुकीं पूजा ने बैंकाक में 2019 में स्वर्ण जीता था जबकि उससे पहले 2015 में कांस्य और 2012 में रजत पदक जीता था. 

इससे पहले, छह बार की विश्व चैम्पियन मैरी कोम को अपना आइडल मानने वाली लालबुतसाही को फाइनल में हार मिली. पहली बार एशियाई चैम्पियनशिप में खेल रहीं पुलिस में काम करने वाली और 2019 विश्व पुलिस खेलों में स्वर्ण पदक जीतन वाली लालबुतसाही का 64 किग्रा के फाइनल में सामना कजाकिस्तान की मिलाना साफरोनोवा से हुआ. वह अनुभवी साफरोनोवा से बिल्कुल नहीं डरीं और जमकर मुक्के बरसाए लेकिन वह 2-3 से यह मुकाबला हार गईं. 

लालबुतसाही से पहले मैरी कोम अपने रिकार्ड छठे स्वर्ण से महरूम रह गईं थी। मैरी को 51 किग्रा वर्ग के फाइनल में दो बार की विश्व चैंपियन नाज़िम काज़ैबे ने 3-2 से हराया. मैरी ने एशियाई चैम्पियनशिप में सातवीं बार हिस्सा लेते हुए दूसरी बार रजत पदक जीता है, उनके नाम पांच स्वर्ण और दो रजत हैं. मैरी कोम और लैशराम सरिता देवी ने एशियाई चैम्पियनशिप में पांच-पांच स्वर्ण पदक जीते हैं. इस महान मुक्केबाज ने 2003, 2005, 2010, 2012 और 2017 संस्करणों में स्वर्ण जीता था जबकि 2008 औऱ इस साल उनके हिस्से में रजत पदक आया था. 

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रविवार का अंतिम फाइनल मुकाबला +81 किग्रा कटेगरी में हुआ, जिसमें भारत की अनुपमा को कजाकिस्तान की लाज्जत कुंगाबेयेवा ने 3-2 से हराया. 

इस साल की खास बात यह है कि चैम्पियनशिप की पुरस्कार राशि में भारी इजाफा किया गया है. इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (एआईबीए) ने इस चैंपियनशिप के लिए 4,00,000 अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि आवंटित की है. पुरुषों और महिलाओं की श्रेणियों के स्वर्ण पदक विजेताओं को 10,000 अमेरीकी डालर से सम्मानित किया जा रहा है जबकि रजत और कांस्य पदक विजेताओं को क्रमशः 5,000 अमेरीकी डालर और 2,500 अमेरीकी डालर का पुरस्कार दिया जा रहा है. 

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आठ भारतीय मुक्केबाज सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), विकास कृष्ण (69 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा), जैस्मीन (57 किग्रा), साक्षी चौधरी (64 किग्रा), मोनिका (48 किग्रा), स्वीटी (81 किग्रा) और वरिंदर सिंह (60 किग्रा) को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था. इन सबने देश के लिए कांस्य पदक हासिल किया है.

उल्लखनीय है कि भारत, उज्बेकिस्तान, मंगोलिया, फिलीपींस और कजाकिस्तान जैसे मजबूत मुक्केबाजी राष्ट्रों सहित 17 देशों के 150 मुक्केबाजों ने इस चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया. 

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