पोंगल से जुड़ी इन बातों को जानते हैं आप, क्यों मनााया जाता है ये त्योहार

लोग सुबह जल्दी उठ गए और नए कपड़े पहनकर मंदिरों में गए.  घरों में घी में तले काजू, बादाम और इलायची की खूशबू आ रही थी क्योंकि पारंपरिक पकवान चावल, गुड़ और चने की दाल बनाई जा रही है.  चकराई पोंगल की सामग्री दूध में उबल कर लोग 'पोंगलो पोंगल', 'पोंगलो पोंगल' बोल रहे हैं. 

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फाइल फोटो
नई दिल्ली: तमिलनाडु के लोग रविवार को फसल के त्योहार पोंगल को उल्लास के साथ मना रहे हैं और वर्षा, सूर्य व मवेशियों के प्रति आभार जता रहे हैं. लोग सुबह जल्दी उठ गए और नए कपड़े पहनकर मंदिरों में गए. घरों में घी में तले काजू, बादाम और इलायची की खूशबू आ रही थी क्योंकि पारंपरिक पकवान चावल, गुड़ और चने की दाल बनाई जा रही है.  चकराई पोंगल की सामग्री दूध में उबल कर लोग 'पोंगलो पोंगल', 'पोंगलो पोंगल' बोल रहे हैं. 

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भगवान सूर्य के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें पोंगल का पकवान का भोग लगाया जाता है, जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. लोग एक दूसरे को पोंगल की बधाई देते हैं और चकराई पोंगल का आदान-प्रदान करते हैं. पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है. पहला दिन भोगी होता है, जो शनिवार के दिन मनाया गया. इस दिन लोग पुराने कपड़ों, दरी आदि चीजों के जलाते हैं और घरों का रंग-रोगन करते हैं. 

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दूसरे दिन पोंगल का मुख्य त्योहार होता है, जो तमिल महीने थाई के पहले दिन मनाया जाता है.  तीसरा दिन मट्टू पोंगल होता है, जब गाय, बैलों को नहलाकर उनके सींगों को रंगा जाता है और उनकी पूजा की जाती है. महिलाएं पक्षियों को रंगे हुए चावल खिलाती हैं और अपने भाईयों के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं. राज्य के कुछ हिस्सों में सांड को पकड़ने के खेल - जलीकट्टू का भी आयोजन किया जाता है. चौथे दिन कन्नम पोंगल मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों के घर जाकर उनसे मुलाकात करते हैं और घूमने-फिरने जाते हैं.
 
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