विधानसभा में हंगामे के चलते राज्यपाल आरएन रवि अभिभाषण बीच में ही छोड़कर चले गए थे.
नई दिल्ली:
तमिलनाडु में राज्य सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच एक नया विवाद पैदा हो गया है. राज्यपाल ने सोमवार को सदन में दिए अपने अभिभाषण में राज्य का नाम तमिलनाडु की जगह तमिझगम करने की सलाह दी थी. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है...
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
दरअसल, पूरा विवाद ‘नाडु' शब्द को लेकर है.‘नाडु' शब्द का मतलब होता है, जमीन. राज्यपाल का तर्क है कि तमिल इतिहास की गलत व्याख्या और अनुवाद की जटिलताओं के कारण नाडु शब्द का अर्थ देश या राष्ट्र-राज्य हो गया है. इस तरह यहां राज्य को तमिल राष्ट्रवाद के तौर पर देखा जाता है. जब राज्यपाल ने इसमें बदलाव की बात कही तो राजनीतिक दलों को यह नागवार गुजरा.
ऐसा नहीं कि सदन में पहली बार राज्यपाल ने तमिलनाडु नाम को लेकर बयान दिया है. 4 जनवरी को राजभवन में हुए कार्यक्रम में भी उन्होंने अपने विचार रखे थे. राज्यपाल रवि ने कथित तौर पर तमिलनाडु के लिए "अधिक उपयुक्त" नाम के रूप में तमिझगम का सुझाव दिया. उनके अनुसार, वर्षों से इस कथन को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया कि तमिलनाडु भारत का अभिन्न अंग नहीं है.
डीएमके इस तर्क और सुझाव से असहमत है. डीएमके के मुखपत्र "मुरासोली" ने राज्यपाल पर तीखा प्रहार किया - "वे कहते हैं कि तमिलनाडु नाम एक संप्रभु राष्ट्र को दर्शाता है. क्या आपको राजस्थान नाम पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान या तुर्कमेनिस्तान जैसा लगता है? क्या महाराष्ट्र इसके लिए एक अलगाववादी नाम नहीं है?" नाम मराठों की भूमि को इंगित करता है? केरल का पर्यटन नारा, 'भगवान का अपना देश', राष्ट्र-राज्य की स्थिति की मांग भी हो सकता है. क्या आपके लिए तेलुगु देशम पार्टी में 'देशम (भूमि)' खोजना समस्याग्रस्त नहीं है? "
1938 में पेरियार ईवी रामासामी द्वारा पहली बार "तमिझगम" नाम का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उन्होंने मद्रास का नाम बदलने के विकल्प के रूप में तमिलनाडु का भी समर्थन किया था. हालांकि, शुरू में DMK ने एक अलग राष्ट्र की मांग की थी, तत्कालीन मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु करने के बाद इसने अपनी मांग छोड़ दी.
DMK की सांसद कनिमोझी ने कहा, "तमिलनाडु नाम हमारी भाषा, परंपरा, राजनीति और जीवन को ही इंगित करता है." डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा, यह भूमि हमेशा के लिए तमिलनाडु रहेगी.