Jaisalmer basanpeer case: जैसलमेर जिले के बासनपीर प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई. सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी की गैरहाजिरी पर सदर थाना के थानाधिकारी के विरुद्ध वारंट जारी किया गया है. करीब 3 महीने पहले ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर विवाद मामले में सुनवाई चल रही थी. इस बहुचर्चित मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. प्रकरण में नामजद करीब 250 लोगों के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज है और 25 की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.
एफआईआर को दी गई चुनौती
इस्लाम खान के खिलाफ विरुद्ध दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सरवर खान ने दलील दी कि एफआईआर में दर्शाया गया घटना का समय तथ्यात्मक रूप से गलत है, क्योंकि उस समय याचिकाकर्ता सरकारी स्कूल में कार्यरत था.
जांच अधिकारी को उपस्थित होने के दिए थे आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए. लेकिन इसके बावजूद जांच अधिकारी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ. न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने कड़ा रुख अपनाते हुए सदर थाना (जैसलमेर) के थानाधिकारी के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किया. साथ ही वारंट को संबंधित पुलिस अधीक्षक के माध्यम से तामील कराने के आदेश भी पारित किए.
6 साल पुराना है विवाद
यह विवाद साल 2019 में लगातार चल रहा है. आरोप के मुताबिक, एक अध्यापक द्वारा कुछ लोगों को उकसाकर छतरी को तुड़वाया गया. इसके बाद 'झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति' द्वारा विरोध जताया गया. पुलिस ने तब 3 लोगों की गिरफ्तारी की थी. साल-2021 में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दोनों पक्षों से बातचीत के बाद प्रशासन की मौजूदगी मे काम शुरू हुआ था. फिर आरोप लगे कि 2021 में विवाद के चलते प्रशासन पर तत्कालीन सरकार ने दबाव बनाकर काम रुकवा दिया. बता दें कि सन् 1828 में जैसलमेर और बीकानेर के बीच युद्ध लड़ा. जैसलमेर की तरफ से लड़ते हुए वीर झांझर रामचंद्र सोडा वीर गति को प्राप्त हुए थे, उनकी याद में यह छतरी बनवाइ गई थी.
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