RAS अधिकारी की प्रोफेशर पत्नी हुई डिजिटल अरेस्ट... पुलिस को चकमा देने में लगे महज 15 मिनट, ठगी का नया तरीका

साइबर ठगी के नए-नए तरीके इजाद किये जा रहे हैं. अब लोगों के दस्तावेज को हथियार बना कर साइबर ठग अकाउंट खुलवाकर ठगी कर रहे हैं. RAS अधिकारी की पत्नी भी इसका शिकार हो गई.

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साइबर ठग गिरफ्तार
Rajasthan:

मौजूदा समय में डिजिटल तरीके से ठगी का दौर चला है. वहीं डिजिटल अरेस्ट को सरकार और RBI लोगों को जागरूक कर रही है. लेकिन इसके बाद भी अक्सर पढ़े लिखे लोग भी पैसों की लालच में गलती कर बैठते हैं. जिसका फायदा साइबर ठग उठाते हैं. रुपयों का लालच देकर शातिर ठग लोगों से दस्तावेज लेते हैं. जो ठगों के हाथ का हथियार बन जाता है. इन दस्तावेजों से ही खाते खुलवाया जाता है और लाखों-करोड़ों का ट्रांजैक्शन हतो है. वहीं इन खातों की वजह से पुलिस को चकमा देने में ठगों को महज 10 से 15 मिनट लगता है और पैसे लेकर फरार हो जाते हैं. यही वजह है कि पुलिस को इन ठगों को ट्रैक करने का मौका नहीं मिलता है. यह तरीका राजस्थान के अजमेर में RAS अधिकारी की पत्नी से साइबर ठगों ने ठगी की और उससे 7.50 लाख रुपये ठग लिये.

अजमेर में आरएएस अधिकारी की पत्नी बनी शिकार

मामला बीते 30 अगस्त को अजमेर में आरएएस अधिकारी हेमंत स्वरूप माथुर की पत्नी प्रो. रुचि माथुर को ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट' के झांसे में लेकर 7.50 लाख रुपये हड़प लिए. पीड़िता ने 3 सितंबर को साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई. जांच के दौरान सामने आया कि ठगी की रकम सूरत निवासी हितेश भाई प्रवीण चंद्र दोढियावाला के फर्म के नाम पर खोले गए करंट अकाउंट में ट्रांसफर हुई. इस खाते से करीब एक करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. अजमेर साइबर थाना डिप्टी हनुमान सिंह के अनुसार, आरोपी हितेश को गुजरात के सूरत से गिरफ्तार किया गया है.

नेशनल लेवल पर सक्रिय है साइबर गिरोह

पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह नेशनल लेवल पर सक्रिय है. ठग देश भर में किराए के खातों का इस्तेमाल करते हैं और रकम को कई चैनलों से गुजारते हैं, जिससे असली अपराधियों तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो जाता है. इससे पहले 7 सितंबर को अजमेर साइबर थाना ने केरल से आरोपी मोहम्मद इस्माइल को पकड़ा था, जिसने ठगी की रकम अपनी बहन के खाते में डलवाई और आगे ट्रांसफर कर दी. अब दूसरा आरोपी हितेश पुलिस के शिकंजे में है. पुलिस का कहना है कि जिन खातों में ठगी की रकम गई है, वे किन राज्यों और व्यक्तियों से जुड़े हैं, इसकी गहन जांच की जा रही है. शनिवार को आरोपी हितेश को कोर्ट में पेश किया जाएगा. लगातार हो रही कार्रवाई से साफ है कि साइबर ठगों का नेटवर्क बेहद संगठित और खतरनाक है, जो लोगों की मेहनत की कमाई पर डाका डाल रहा है.

ठगो के जाल से ऐसे बचें 

साइबर ठगी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय जागरूकता है. लोगों को समझना होगा कि कोई भी पुलिस अधिकारी व्हाट्सएप या फोन कॉल पर न तो धमकाता है और न ही पैसे मांगता है. ऐसे मामलों में घबराने के बजाय तुरंत नजदीकी पुलिस थाने या साइबर थाने में शिकायत करनी चाहिए. बैंक डिटेल, ओटीपी, आधार या पैन की जानकारी किसी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें. सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के जरिए लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि लोग ठगों के झांसे में न आएं और समय रहते खुद को सुरक्षित रख सकें.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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