जिस पिता ने दिया जन्‍म, उसी को दी नई जिंदगी... पाली की बेटी ने लिवर का 60% हिस्सा दिया

डॉक्टरों ने कह दिया था कि मरीज के पास सिर्फ तीन महीने का समय है और जान बचाने के लिए परिवार का कोई सदस्य लिवर डोनेट करे. इस मुश्किल घड़ी में बेटी ने अपने पिता को लिवर डोनेट करने का फैसला किया है.

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  • दीप्ति ने अपने पिता जितेंद्र सिंह को बचाने के लिए लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा दान किया है
  • जितेंद्र सिंह 3 वर्षों से लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और डॉक्टरों ने 3 महीने का समय बताया था
  • परिवार में कोई अन्य डोनर नहीं बन पाया इसलिए दीप्ति ने पिता के लिए लिवर डोनेट किया
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जयपुर:

पाली जिले के खारड़ा गांव की रहने वाली 21 साल की दीप्ति राज मेड़तिया ने अपने पिता के लिए जो किया है उसकी मिसाल कम ही मिलती है. दीप्ति ने अपने पिता जितेंद्र सिंह मेड़तिया के जीवन को बचाने के लिए अपने लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा डोनेट कर दिया है. जितेंद्र सिंह (46) पिछले तीन साल से लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे. शुरुआत में फैटी लिवर की समस्या थी लेकिन धीरे-धीरे पूरा लिवर ही डैमेज हो गया. पेट दर्द, बीपी बढ़ने और चक्कर आने जैसी शिकायतों के बाद उन्होंने जोधपुर, अहमदाबाद और उदयपुर में लगातार इलाज कराया लेकिन हालत बिगड़ती चली गई. आखिरकार डॉक्टरों ने कह दिया कि मरीज के पास सिर्फ तीन महीने का समय है और जान बचाने के लिए परिवार का कोई सदस्य लिवर डोनेट करे.

पापा से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं...

जितेंद्र सिंह के बुजुर्ग माता-पिता की उम्र और पत्नी की बीमारी के कारण वे डोनर नहीं बन सके. छोटे भाई का ब्लड मैच नहीं हुआ. ऐसे में पूरा परिवार निराश था. तभी दीप्ति ने आगे आकर कहा कि मेरे टेस्ट करवाओ शायद मेरा लिवर पापा की बॉडी में ट्रांसप्लांट हो सके. शुरुआत में दादा गणपत सिंह ने साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि तुम अभी बहुत छोटी हो तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है. तुम्हें कुछ हो गया तो हम खुद को कभी माफ नहीं कर पाएंगे, लेकिन दीप्ति ने जिद पकड़ी. उसने कहा कि पापा से बढ़कर मेरे लिए कोई नहीं है. आखिरकार उसकी जिद के आगे पूरा परिवार मान गया. परिवार दीप्ति और जितेंद्र सिंह को लेकर गुरुग्राम के वेदांता हॉस्पिटल पहुंचा. यहां डॉक्टर अरविंदर सिंह सोइन ने दीप्ति के सारे टेस्ट करवाए और कहा कि वह अपने पिता को लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा डोनेट कर सकती है.

बेटी ने पापा की दी नई जिंदगी

29 अगस्त 2025 को करीब 15 घंटे चले ऑपरेशन में दीप्ति का लिवर ट्रांसप्लांट सफल रहा. ऑपरेशन के बाद दीप्ति को एक दिन आईसीयू और पांच दिन वार्ड में रखकर छुट्टी दे दी गई. जितेंद्र सिंह फिलहाल गुड़गांव में ही हैं और एक महीने तक डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगे. अगले तीन महीने तक उन्हें किसी से मिलने की अनुमति नहीं होगी. दीप्ति कहती है पापा हमारे बीच हैं इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है. उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर मेरा दिल खुश हो जाता है. शुरू में दादा-दादी ने मना कर दिया था, लेकिन आज मुझे और पापा को स्वस्थ देखकर वे सबसे ज्यादा खुश हैं. दीप्ति की मां रिंकू कंवर ने कहा कि बेटी ने साहस और जज्बे के साथ अपने पिता को नया जीवन दिया है. वह अपनी छोटी बहन निधि और भाई श्रवण सिंह के लिए रोल मॉडल बन गई है. उदयपुर के भोपाल नोबेल कॉलेज में BA-LLB की पढ़ाई कर रही दीप्ति पर पूरे परिवार को गर्व है.

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