राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में बढ़ती चोरी और मारपीट की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए वहां की एक अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है. सिविल न्यायाधीश और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग (अजमेर पश्चिम) मनमोहन चंदेल ने दरगाह कमेटी को अपने खर्च पर परिसर के हर संभावित हिस्से में क्लोज सर्किट टीवी (सीसीटीवी) कैमरे लगाने का आदेश दिया है. अदालत ने यह भी साफ किया है कि इस आदेश का विरोध करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
अदालत ने कहा क्या है
अदालत का मानना है कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह लाखों जायरीनों की आस्था का केंद्र है. इसकी सुरक्षा सर्वोपरि है. सीसीटीवी कैमरों की मौजूदगी से न केवल अपराधों पर नियंत्रण होगा, बल्कि किसी भी विवाद की स्थिति में पुख्ता इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी मिल सकेंगे. अदालत ने दरगाह कमेटी को पांच दिनों के भीतर जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को हरसंभव सहयोग देने को कहा है.
यह आदेश दरगाह के नाजिम डॉक्टर बिलाल खान की याचिका पर आया है. उन्होंने अदालत से दरगाह परिसर और विशेष रूप से आस्थाने (गर्भगृह) में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की थी. यह याचिका दरगाह के दो खादिम परिवारों के बीच चाबी को लेकर चल रहे विवाद से भी जुड़ी बताई जा रही है.
दरगाह अंजुमन कमेटी का क्या कहना है
वहीं, दरगाह अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह दो परिवारों के बीच का विवाद है. उनका कहना है कि सीसीटीवी कैमरों को इसका आधार बनाना गलत है. चिश्ती ने दावा किया कि दरगाह परिसर में पहले से ही पर्याप्त कैमरे लगे हुए हैं. उनका कहना है कि आस्थाने में कभी भी कैमरा नहीं लगाया गया है. उन्होंने इसे धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं से जुड़ा मुद्दा बताया. हालांकि, अदालत का रुख स्पष्ट है कि सुरक्षा और जायरीनों की आस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी.
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