राजपूत रेजीमेंट में सिपाही चूरू के रहने वाले बबलू सिंह जिसकी उम्र महज 28 साल थी. असम में ट्रेनिंग के दौरान हथियार प्रशिक्षण करते हुए घायल हो गए थे. 12 सितंबर की इस घटना में जवान बबलू के सिर में गंभीर चोट आई थी. वहीं घायल अवस्था में उन्हें तेजपुर सैन्य अस्पताल लाया गया. लेकिन 4 दिन के इलाज के बाद उसे गुवाहाटी सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन 24 सितंबर को इलाज के दौरान जवान बबलू की मौत हो गई. वहीं अब गांव के युवकों ने बबलू सिंह को शहीद का दर्ज देकर नम आखों से अंतिम विदाई दी.
निकाला गया तिरंगा यात्रा
शहीद जवान बबलू के अंतिम संस्कार से पहले घण्टेल से रिड़खला गांव तक युवाओं ने बाइक पर तिरंगा यात्रा निकाली. बबलू सिंह अमर रहे के नारों से आसमान गूंज उठा. महाराणा प्रताप विद्यालय के छात्रों ने तिरंगे को सलामी दी.
सैनिकों ने राइफल सलामी दी
अंतिम संस्कार में टू जैक राइफल बीकानेर के सुबेदार मेजर प्रतीम सिंह के नेतृत्व में सैनिकों ने राइफल सलामी दी. 27 राजपूत रेजीमेंट के सुबेदार मेजर दानाराम और नायब सुबेदार नत्थू सिंह ने बबलू के चाचा कालू Singh को तिरंगा सौंपा. उनके चचेरे भाइयों अमित, भरत और सुनील ने मुखाग्नि दी.
महज 7 महीने पहले हुई थी शादी
बबलू सिंह ने फरवरी 2025 में जयपुर की काजल से शादी की थी. वे अपने माता-पिता का इकलौता बेटा थे और दो शादीशुदा बहनों के भाई. उनके पिता मोहन सिंह पिछले 25 साल से रीढ़ की हड्डी की बीमारी से बिस्तर पर हैं. मां मंगेज कंवर उनकी देखभाल करती हैं. परिवार का एकमात्र कमाने वाला बबलू ही था.
पूरे गांव में शोक
बबलू के शहीद होने की खबर से रिड़खला में शोक छा गया. गांव की दुकानें बंद रहीं, किसी घर में चूल्हा नहीं जला. विधायक हरलाल सहारण, पूर्व विधायक मकबूल मण्डेलिया, प्रधान दीपचंद राहड़ सहित कई गणमान्य लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. बबलू मार्च 2017 में सेना में भर्ती हुए थे और जुलाई में आखिरी बार घर आए थे.
यह भी पढ़ेंः बुआ को बचाने के लिए भतीजी ने लगा दी जान की बाजी, BSTC की छात्रा चरा रही थी भैंस... नदी में हो गई दोनों की मौत