- राजस्थान पुलिस की ATS और ANTF ने जैसलमेर से 100 करोड़ की MD ड्रग्स फैक्ट्री के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया
- कमलेश ने अपने गैंग को कॉर्पोरेट स्टाइल में संगठित कर अलग-अलग सदस्यों को जिम्मेदारियां सौंप रखी थीं
- गैंग में तकनीकी, फाइनेंस, सुरक्षा और ऑपरेशन के लिए अलग-अलग प्रमुख थे, जो आपस में रिश्तेदार भी थे
राजस्थान पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) को बड़ी कामयाबी मिली है. संयुक्त कार्रवाई में 100 करोड़ रुपये की MD ड्रग्स फैक्ट्री स्थापित करने के मास्टरमाइंड कमलेश उर्फ कार्तिक को जैसलमेर के सांगड़ इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया है. कमलेश कॉर्पोरेट स्टाइल में ड्रग्स का कारोबार चला रहा था. उसने अपने पूरे गैंग को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंप रखी थीं.
कमलेश की गिरफ्तारी उस वक्त हुई, जब वह जैसलमेर में बकाया हिसाब-किताब निपटाने के लिए आया था. एटीएस को गुप्त सूचना मिली थी, जिसके आधार पर उसे तुरंत धर दबोचा गया. गिरफ्तारी के वक्त कमलेश के पास से एक लाख रुपये से अधिक नकद बरामद हुए हैं.
कॉर्पोरेट स्टाइल में चलता था अवैध कारोबार
ATS के आईजी विकास कुमार के अनुसार, कमलेश खुद गैंग का सेल्स और मार्केटिंग हेड था. उसने पूरे कारोबार को एक कंपनी की तरह चलाने के लिए हर सदस्य को विशेष जिम्मेदारी दी थी-
सदस्य का नाम | जिम्मेदारी |
रमेश | फाइनेंस और कोऑर्डिनेशन |
मांगीलाल | फैक्ट्री हेड |
बिरजू शुक्ला | टेक्निकल और रिसर्च हेड |
शिव | ऑपरेशन चीफ |
राजू (तीन सदस्य) | रॉ मटेरियल और प्लांट हेड |
गणपत | सिक्योरिटी हेड |
पुणे जेल में बना 'टेक्निकल हेड' से संपर्क
गिरफ्तार कमलेश को MD ड्रग्स की लत थी. इसी में बड़ा मुनाफा देखकर उसने इसे एक संगठित व्यवसाय का रूप दे दिया. गैंग की बड़ी योजना महाराष्ट्र में बनी, जहां कमलेश ने सभी सदस्यों को इकट्ठा किया. दिलचस्प बात यह है कि कमलेश का पुणे जेल में संपर्क बिरजू शुक्ला से हुआ, जिसे बाद में उसने अपना टेक्निकल और रिसर्च हेड बना लिया.
दो बार पकड़ी गई फैक्ट्री, विरोधी गैंग ने दी सूचना
कमलेश का लक्ष्य बाड़मेर के सेड़वा इलाके में स्थापित फैक्ट्री से हर तीन-चार दिन में 10 किलो MD तैयार करना और पूरे राजस्थान में हर महीने लगभग 20 करोड़ रुपये की ड्रग्स सप्लाई करना था.
फैक्ट्री के लिए जरूरी मशीनरी महाराष्ट्र और गुजरात से लाई जा रही थी, जबकि केमिकल महाराष्ट्र के महाड़ इलाके से सप्लाई होना था. गैंग ने पहले जोधपुर के कुड़ी और बाद में बाड़मेर के सेड़वा में फैक्ट्री लगाने का प्रयास किया, लेकिन दोनों ही बार पुलिस ने फैक्ट्री शुरू होने से पहले ही पकड़ ली. ATS को इस कार्रवाई में एक विरोधी गैंग से भी मदद मिली, जिसने कमलेश की गतिविधियों और उसके संभावित ठिकानों की जानकारी मुहैया कराई.
हथियारों की सप्लाई और होटल से चलता था धंधा
कमलेश का आपराधिक इतिहास पुराना है. वह पहले मध्यप्रदेश के खरगौन से राजस्थान में अवैध हथियार सप्लाई करता था और महाराष्ट्र के पुणे में भी मादक पदार्थ के साथ पकड़ा जा चुका है. वह अपने भाई सुरेश के साथ मिलकर जैसलमेर में एक होटल भी चलाता था, जिसका उपयोग अवैध कारोबार को संचालित करने के लिए किया जाता था.
कमलेश के दो साथी मांगीलाल और बिरजू पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं. अन्य फरार आरोपियों रमेश पर 1 लाख रुपये और राजू पर 40 हजार रुपये का इनाम घोषित है.इन आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग राज्यों में लगभग छह मामले दर्ज हैं.