पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी सीमा से किसानों को हटाया
पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पिछले 13 महीने से हजारों किसान फसलों की एमएसपी समेत कई मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. बुधवार दोपहर एक उम्मीद की किरण जागी, जब केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने किसान नेताओं को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. लेकिन शाम होते-होते किसान आंदोलन को बड़ा झटका लगा, जब पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को खदेड़ दिया और उनके टेंटों पर बुलडोजर चला दिया. इससे पहले पुलिस ने किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद लौटते समय मोहाली में हिरासत में ले लिया था, ताकि कोई बड़ा बवाल न खड़ा हो जाए. हालांकि, इसके बावजूद किसानों ने टेंटों को हटाने से रोकने का विरोध किया, लेकिन पुलिस पूरी तैयारी के साथ आई थी.
- पंजाब पुलिस ने बुधवार को पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर किसानों द्वारा लगाए गए धरने को समाप्त करा दिया और टेंटों को तोड़ दिया. किसानों की एक बड़ी संख्या अपनी विभिन्न मांगों को लेकर यहां धरने पर बैठी थी.
- शंभू बॉर्डर पर पुलिस की तैनाती काफी बढ़ा दी गई थी. पुलिस ने किसान मजदूर मोर्चा का कार्यालय और किसानों द्वारा बनाए गए पक्के मोर्चों को तोड़ दिया. पुलिस ने बुलडोजर चलाकर किसान मजदूर मोर्चा के कार्यालय और मंच को ध्वस्त कर दिया है. पुलिस की इस कार्रवाई के तहत शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाया जा रहा है और धरने की पूरी व्यवस्था को ध्वस्त किया जा रहा है.
- पंजाब पुलिस की ओर से डीआईजी हरमिंदर सिंह गिल ने कहा कि अब तक 40 से 50 किसानों ने सरेंडर किया है. उन्होंने आगे बताया कि यदि कोई किसान गिरफ्तारी के लिए कहेगा, तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा, जबकि अगर कोई छोड़ने की मांग करेगा तो उसे छोड़ दिया जाएगा. ऐसा नहीं है कि हमने उन्हें बंधक बना लिया है.
- इससे पहले, शंभू बॉर्डर पर भारी पुलिस बल की तैनाती और दर्जनों एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और बुलडोजर की तैनाती को लेकर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि हम कहना चाहते हैं कि हमें मारे बिना यहां से मोर्चा खाली नहीं हो सकता है. हम पंजाब, हरियाणा के किसानों से कहना चाहते हैं कि एक-एक ट्रॉली यहां लेकर आ जाओ, यह मसला किसी न किसी ओर जाएगा. अंतिम सांस तक लड़ेंगे. सरकार बड़ी है, लेकिन जनता से बड़ी नहीं हो सकती है.
- किसानों की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों पर चर्चा के वास्ते किसान नेताओं और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच चंडीगढ़ में बुधवार को आयोजित सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही. हालांकि, बाचतीत में शामिल केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों के हित को सर्वोपरि बताया. तीन घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वार्ता जारी रहेगी और अगली बैठक चार मई को होगी.
- पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने किसानों को प्रदर्शन स्थलों से हटाए जाने को उचित ठहराते हुए कहा कि राज्य के लिए जीवनरेखा सरीखे दोनों राजमार्गों के लंबे समय तक बंद रहने से उद्योग और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने किसान नेताओं को हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि पंजाब की ‘आप' सरकार केंद्र और किसानों के बीच वार्ता को ‘विफल' करने की कोशिश कर रही है.
- शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने पंजाब पुलिस द्वारा कई किसान नेताओं को ‘धोखे से' हिरासत में लेने की निंदा की और इसे देश के अन्नदाताओं का ‘बड़ा अपमान' करार दिया, जो अपनी 'वैध' मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
- एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने यहां जारी एक बयान में कहा कि यह बेहद दुखद है कि जिन किसानों ने देश की प्रगति, समृद्धि और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, वे आज सरकारों की ‘किसान विरोधी' नीतियों के कारण पीड़ित हैं.
- संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली कूच करने से रोके जाने के बाद पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू (शंभू-अंबाला) और खनौरी (संगरूर-जींद) सीमा पर डेरा डाले हुए थे.
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