"पंजाब यूनिवर्सिटी में नहीं मिलेगी कोई हिस्सेदारी", CM मान की हरियाणा के मुख्यमंत्री को दो टूक

सीएम भगवंत मान ने कहा कि यूनिवर्सिटी के अंतरराज्यीय दर्जे को बरकरार रखने के लिए हर कदम उठाया जायेगा और किसी को भी इसमें कोई तबदीली नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि राज्य के हित बिकाऊ नहीं हैं, जिसको कोई भी पैसो देकर खरीद लेगा.

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पंजाब के मुख्यमंत्री ने पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर हरियाणा के सीएम को दिया जवाब
नई दिल्ली:

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सेदारी को लेकर हरियाणा के सीएम को साफ तौर पर मना कर दिया है. भगवंत मान ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी का दर्जा बदलने की कोशिशों को राज्य सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी. सीएम मान ने पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर अकाली दल पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अकाली दल को इस मुद्दे पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं क्योंकि उनके मुख्यमंत्री ने पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी में तबदील करने के लिए दी थी NOC.पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के राज्य की भावनात्मक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और समृद्ध विरासत का हिस्सा होने का दावा करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनको क्षेत्र की इस शीर्ष यूनिवर्सिटी में हरियाणा के हिस्से की ज़रूरत नहीं है. 

पंजाब भवन में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के किसी भी कॉलेज को यूनिवर्सिटी से मान्यता नहीं दी जाएगी और न ही यूनिवर्सिटी की सैनेट में पिछले दरवाज़े से दाखि़ले के लिए हरियाणा के किसी भी कोशिश को कामयाब होने दिया जाएगा. सीएम मान ने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी के दर्जे को बदलने की लगातार कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि छात्रों के हितों के मद्देनज़र सरकार ऐसा बिल्कुल नहीं होने देगी. राज्य के 175 कॉलेज इस यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त हैं, जिस कारण पंजाब की कई पीढ़ियां इससे भावनात्मक तौर पर जुड़ी हुई हैं. 

उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी पंजाब और इसकी राजधानी चंडीगढ़ के विद्यार्थियों को शिक्षा देती है. यूनिवर्सिटी के इतिहास, मूल, सामाजिक-सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों और पंजाब के इस यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और अध्यापकों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का कानूनी और प्रशासकीय दर्जा पहले की तरह ही रहना चाहिए. उन्होंने याद दिलाया कि साल 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के समय इस यूनिवर्सिटी को पंजाब पुनर्गठन एक्ट की धारा 72 (1) के अंतर्गत 'इंटर स्टेट बॉडी कॉर्पोरेट' घोषित किया गया था. 

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सीएम भगवंत मान ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना से लेकर अब तक पंजाब में निरंतर काम कर रही है. विभाजन के बाद इसको पंजाब की तत्कालीन राजधानी लाहौर तबदील किया गया, उसके बाद होशियारपुर और फिर पंजाब की मौजूदा राजधानी चंडीगढ़ में तबदील कर दिया गया था. पंजाब यूनिवर्सिटी का पूरा अधिकार-क्षेत्र मुख्य तौर पर पंजाब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में है. 

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पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 की धारा 72 की उप धारा (4) के अनुसार, यूनिवर्सिटी को रख-रखाव घाटे की ग्रांटें को सम्बन्धित राज्यों भाव पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के यू. टी. प्रशासन में क्रमवार 20:20:20:40 के अनुपात में सांझा और अदा किया जाना था. उन्होंने कहा कि 1970 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसी लाल ने अपनी मर्ज़ी से यूनिवर्सिटी में से अपने राज्य का हिस्सा वापस ले लिया था और 1973 में भी हरियाणा ने अपने सैनेट के सदस्यों को यूनिवर्सिटी से वापस बुला लिया था. भगवंत मान ने कहा कि तब से पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को क्रमवार 40: 60 के अनुपात में रख-रखाव घाटे की ग्रांटों का भुगतान करने की वित्तीय ज़िम्मेदारी उठाई है. 

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सीएम मान ने कहा कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के पीछे हटने और राज्य में नई यूनिवर्सिटियों के निर्माण के कारण बढ़े वित्तीय बोझ के बावजूद पंजाब ने यूनिवर्सिटी के साथ राज्य निवासियों की ऐतिहासिक और भावनात्मक सांझ यकीनी बनाये रखने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी को समर्थन देना जारी रखा. हाल ही में राज्य सरकार ने यूनिवर्सिटी को होस्टलों के निर्माण के लिए 49 करोड़ रुपए दिए हैं, जबकि इसकी कोई मांग भी नहीं की गई थी. भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार यूनिवर्सिटी के सर्वांगीण विकास के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी. 

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उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के अंतरराज्यीय दर्जे को बरकरार रखने के लिए हर कदम उठाया जायेगा और किसी को भी इसमें कोई तबदीली नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि राज्य के हित बिकाऊ नहीं हैं, जिसको कोई भी पैसो देकर खरीद लेगा. भगवंत मान ने कहा कि हरियाणा सरकार की तरफ से यूनिवर्सिटी को ग्रांटों का हिस्सा देने का प्रस्ताव पूरी तरह अस्वीकार्य और अनुचित है. 

मुख्यमंत्री ने हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा राज्य की सभी यूनिवर्सिटियों के उप कुलपतियों को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने एक पत्र के द्वारा यूनिवर्सिटियों को फंड देने से असमर्थता अभिव्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इस पत्र में यूनिवर्सिटियों को अपने स्तर पर संसाधन जुटाने के लिए कहा गया जबकि दूसरी तरफ़ हरियाणा पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सा डालने के लिए उत्सुक है जो इस राज्य के नापाक इरादों को दर्शाता है. भगवंत मान ने कहा कि कोई राज्य जो अपनी यूनिवर्सिटियों का प्रबंध करने के समर्थ नहीं है, वह पंजाब यूनिवर्सिटी जैसी बड़े रुतबे वाली यूनिवर्सिटी को अपनी तरह से कब तक कैसे फंड दे सकता है, जब तक कोई बड़ी एजेंसी उसके लिए गुप्त तरीके से फंडों की व्यवस्था नहीं करती. 

भगवंत मान ने कहा कि उन्होंने पद संभालने के बाद केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान को दो पत्र लिख कर कहा था कि यूनिवर्सिटी राज्य की विरासत है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. पंजाब यूनिवर्सिटी के स्वरूप में किसी भी तरह की तबदीली को रोकने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ वचनबद्धता को दोहराते हुये उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार राज्य और यहां के लोगों के हकों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है. भगवंत मान ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी, पंजाब की विरासत का प्रतीक है और राज्य के नाम का पर्यायी है. 

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी के मूल स्वरूप को बरकरार रखने के लिए 30 जून, 2022 को पंजाब विधान सभा में एक प्रस्ताव भी पास किया गया था तो यूनिवर्सिटी की सैनेट में किसी भी किस्म की घुसपैठ को रोका जा सके. राज्य सरकार हरियाणा के लोगों के किसी तरह खि़लाफ़ नहीं है और यह तथ्य भी रिकार्ड पर हैं कि यूनिवर्सिटी में 35 प्रतिशत विद्यार्थी हरियाणा के हैं. भगवंत मान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हरियाणा अपनी यूनिवर्सिटी को कहीं भी बनाने के लिए आज़ाद है लेकिन उनको पंजाब यूनिवर्सिटी का हिस्सा नहीं बनने दिया जायेगा.

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