भारतीय वायु सेना ने शनिवार यानी 13 अप्रैल को 40 साल पहले हुए ‘ऑपरेशन मेघदूत' में अपने योगदान को याद किया था. इस दौरान उसके सामरिक और रणनीतिक ‘एयरलिफ्टर्स' और प्रमुख हेलीकॉप्टरों ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में जवानों और सामग्रियों को पहुंचाया था.
भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी मौजूदगी के चार दशक पूरे किए थे. फोटो: PIB
भारतीय सेना ने 13 अप्रैल, 1984 को ‘ऑपरेशन मेघदूत' शुरू किया था, जिसमें भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना उत्तरी लद्दाख क्षेत्र के ऊंचे क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए सियाचिन ग्लेशियर तक पहुंची थीं. फोटो: PIB
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इस प्रयास में एक ‘अद्वितीय भूमिका' निभाते हुए, वायु सेना के सामरिक और रणनीतिक ‘एयरलिफ्टर्स', एएन-12, एएन-32 और आईएल-76 ने ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों में आपूर्ति पहुंचाई थीं. फोटो: PIB
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इन ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों में एमआई-17, एमआई-8, चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों ने ग्लेशियर पर चक्करदार ऊंचाइयों तक जवानों तथा सामग्रियों को पहुंचाया, जो हेलीकॉप्टर निर्माताओं द्वारा निर्धारित सीमा से बहुत ऊपर था. फोटो: PIB
'ऑपरेशन मेघदूत' में भारतीय वायुसेना द्वारा भारतीय सेना के जवानों को हवाई मार्ग से हिमनद चोटियों तक पहुंचाना था. फोटो: PIB