दशहरे से पहले रंग-बिरंगे पुतलों से सजी दिल्‍ली की सड़कें

उत्तर पश्चिम दिल्ली की नजफगढ़ रोड पर राजा रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों से सड़कें सजी हुई हैं. इन्‍हें कलर्ड पेपर से सजाया गया है. बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से बड़ी संख्या में आने वाले कारीगर लगभग 5,000 रावण के पुतले बनाते हैं. इन पुतलों को दशहरे पर जलाने के लिए दिल्ली और आसपास के इलाकों के रामलीला स्थलों पर ले जाया जाएगा.

  • दशहरे के चलते रावण के पुलतों की अधिक डिमांड होती है, जिसके चलते कारीगर दिनरात इन पुलतों को तैयार करने में जुटे रहते हैं.
    दशहरे के चलते रावण के पुलतों की अधिक डिमांड होती है, जिसके चलते कारीगर दिनरात इन पुलतों को तैयार करने में जुटे रहते हैं.
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  • सोनू कुमार पुतलों पर ग्लेज्ड पेपर चिपका रहे हैं, जो वॉटर प्रूफ होता है और बारिश से इन पुतलों को बचाता है.
    सोनू कुमार पुतलों पर ग्लेज्ड पेपर चिपका रहे हैं, जो वॉटर प्रूफ होता है और बारिश से इन पुतलों को बचाता है.
  • पुतलों को अलग-अलग रंगों और कागज से इसलिए भी तैयार किया जाता है, ताकि ये समझा जा सके रावण, कुंभकरण और मेघनाथ तीनों अलग हैं.
    पुतलों को अलग-अलग रंगों और कागज से इसलिए भी तैयार किया जाता है, ताकि ये समझा जा सके रावण, कुंभकरण और मेघनाथ तीनों अलग हैं.
  • दशहरे से पहले दिल्‍ली में कई जगहों पर रावण के पुलते रंग-बिरंगे कागजों से तैयार किए जा रहे हैं.
    दशहरे से पहले दिल्‍ली में कई जगहों पर रावण के पुलते रंग-बिरंगे कागजों से तैयार किए जा रहे हैं.
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  • अजय कुमार, जिन्हें पुतला बनाने की कला विरासत में मिली है, कहते हैं कि वह 3 से 5 फीट तक छोटे पुतले बनाते हैं क्योंकि वह उन्हें मौसम से बचाने के लिए अपने घर के अंदर तैयार और संग्रहीत कर सकते हैं.
    अजय कुमार, जिन्हें पुतला बनाने की कला विरासत में मिली है, कहते हैं कि वह 3 से 5 फीट तक छोटे पुतले बनाते हैं क्योंकि वह उन्हें मौसम से बचाने के लिए अपने घर के अंदर तैयार और संग्रहीत कर सकते हैं.
  • त्योहार से दो महीने पहले इन्‍हें बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है और दशहरे से दो दिन पहले डिलीवरी शुरू हो जाती है.
    त्योहार से दो महीने पहले इन्‍हें बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है और दशहरे से दो दिन पहले डिलीवरी शुरू हो जाती है.