बिहार में नगर निकाय चुनाव स्थगित होने के बाद अति पिछड़ी जाति को आरक्षण के सवाल पर जेडीयू और बीजेपी के बीच घमासान चरम पर है. दोनों दलों के नेताओं ने सोशल मीडिया को जंग का मैदान बना दिया है. बीजेपी चुनाव रद्द होने के लिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को जिम्मेदार बताती है. दूसरी ओर जेडीयू बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि बीजेपी पिछड़े वर्ग के संवैधानिक आरक्षण को समाप्त करने की साजिश रच रही है. इस बीच जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) ने नीतीश कुमार को लेकर सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) के किए गए ट्वीट के बाद पलटवार किया है.
ललन सिंह ने कहा, 'सुशील जी, 1974 के जन आंदोलन के दौरान श्रद्धेय लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने आरएसएस और बीजेपी के बारे में कितनी बार टिप्पणियां की थी, आपको स्मरण है या मैं आपको स्मरण कराऊं ?' ललन सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उनकी व्याकुलता मंत्री बनने में नहीं बल्कि पार्टी को बचाने में थी.
सुशील कुमार मोदी ने क्या ट्वीट किया था?
दरअसल, बिहार में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार को लेकर सोमवार को एक ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, 'आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस और भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता लालू से हाथ मिलाने वाले नीतीश कुमार किस मुंह से JP (जयप्रकाश नारायण) की मूर्ति पर माल्यार्पण करेंगे?' ललन सिंह ने इसी ट्वीट पर पलटवार किया है.
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह इसके पहले भी आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी आयोग गठन की बात कहकर आरक्षण को उलझाना चाहती है. बीजेपी सरकार निकाय चुनाव को लेकर सरकार के खिलाफ गलत बयानबाजी कर रही है. ललन सिंह ने ऐलान किया था कि बीजेपी की साजिश के खिलाफ जेडीयू पूरे राज्य में पोलखोल अभियान चलाएगी.
इसके जवाब में बिहार के वरिष्ठ बीजेपी नेती सुशील मोदी ने एक वीडियो जारी कर ललन सिंह को जवाब दिया था. सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि एक डेडिकेटेड आयोग बनाकर समाज में अति पिछड़ा लोगों की पहचान करने के लिए एक आयोग बनाने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को पटना हाईकोर्ट ने दोहराया. इसके बाद भी नीतीश कुमार ने आयोग का गठन नहीं किया. हमारे ऊपर आरोप लगाया जा रहा है कि बीजेपी आयोग की मांग कर मामले को उलझाना चाहती है, लेकिन आयोग बनाने की बात बीजेपी की नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की है. बीजेपी चाहती है कि आयोग बनाकर अति पिछड़ों की पहचान की जाए व उनको आरक्षण दिया जाए.