पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में देसी शराब पर लगी पाबंदी को मिली प्रतिक्रिया से इतना खुश हैं कि उन्होंने पूर्ण शराबबंदी के लिए निर्धारित किए गए वक्त को छह महीने पहले ही प्रभावी कर दिया, और दो घंटे तक चली कैबिनेट बैठक के बाद राज्य में तत्काल प्रभाव से पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई।
इसका अर्थ है कि राज्य भर में कहीं भी, बार और रेस्तरां सहित, कानूनी रूप से शराब का सेवन नहीं किया जा सकेगा।
राज्य सरकार ने पूर्ण शराबबंदी की दिशा में कदम उठाते हुए पहले चरण के रूप में शुक्रवार को देसी शराब पर प्रतिबंध लगाया था, और मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि वह छह महीने के भीतर चरणबद्ध तरीके से शराब की बिक्री और सेवन पर पूरी तरह पाबंदी लगा देंगे।
नीतीश कुमार ने कहा, "देसी शराब पर लगे प्रतिबंध के पहले चार दिन में ही यह सामाजिक आंदोलन बन गया है... शहरों में भी महिलाएं सरकारी शराब की दुकानों का विरोध कर रही हैं, जैसा हमने छह महीने में करने की योजना बनाई थी... और इसलिए मुझे लगता है, बिहार में सामाजिक परिवर्तन के लिए यह सही समय है..."
मुख्यमंत्री हमेशा से शराबबंदी के पक्ष में रहे हैं। यह उनके राजनैतिक एजेंडे का भी हिस्सा रहा है। उन्होंने पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के दौरान महिला मतदाताओं से यह वादा भी प्रमुखता से किया था, और माना जाता है कि उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचाने में महिला मतदाताओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
यह पूछे जाने पर कि सरकार शराब की बिक्री बंद होने से होने वाले माली नुकसान की भरपाई कैसे होगी, नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें शराब से किसी राजस्व की ज़रूरत नहीं है। पिछले साल शराब बिक्री से बिहार सरकार को 3,300 करोड़ की आमदनी हुई थी।
देसी शराब पर प्रतिबंध लगाए जाने के पहले चार दिनों में राजनेता और पुलिसकर्मी खूब भाग-दौड़ करते नज़र आए, ताकि अभियान को ज़्यादा से ज़्यादा कामयाब बनाया जा सके।
बिहार के सभी 243 विधायकों ने नए कानून के पारित होने पर 'शराब से दूर रहने' की औपचारिक रूप से प्रतिज्ञा ली थी, वहीं सोमवार को राज्य के हज़ारों पुलिसकर्मियों ने एक पंक्ति में खड़े होकर शराब नहीं पीने तथा शराबबंदी को कामयाब बनाने का वचन दिया।
देसी शराब पर पाबंदी (जिसके तहत देसी और ज़हरीली शराब बनाते या बेचते पकड़े जाने पर मृत्युदंड का प्रावधान है) लागू होते ही राज्य के सभी ग्रामीण और शहरी इलाकों में देसी शराब बेचने वाली सभी दुकानें बंद हो गई हैं। पुलिस ने राजधानी पटना में एक कंट्रोल रूम बनाया है, जो नए कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 24 घंटे काम करेगा।
इसका अर्थ है कि राज्य भर में कहीं भी, बार और रेस्तरां सहित, कानूनी रूप से शराब का सेवन नहीं किया जा सकेगा।
राज्य सरकार ने पूर्ण शराबबंदी की दिशा में कदम उठाते हुए पहले चरण के रूप में शुक्रवार को देसी शराब पर प्रतिबंध लगाया था, और मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि वह छह महीने के भीतर चरणबद्ध तरीके से शराब की बिक्री और सेवन पर पूरी तरह पाबंदी लगा देंगे।
नीतीश कुमार ने कहा, "देसी शराब पर लगे प्रतिबंध के पहले चार दिन में ही यह सामाजिक आंदोलन बन गया है... शहरों में भी महिलाएं सरकारी शराब की दुकानों का विरोध कर रही हैं, जैसा हमने छह महीने में करने की योजना बनाई थी... और इसलिए मुझे लगता है, बिहार में सामाजिक परिवर्तन के लिए यह सही समय है..."
मुख्यमंत्री हमेशा से शराबबंदी के पक्ष में रहे हैं। यह उनके राजनैतिक एजेंडे का भी हिस्सा रहा है। उन्होंने पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के दौरान महिला मतदाताओं से यह वादा भी प्रमुखता से किया था, और माना जाता है कि उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचाने में महिला मतदाताओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
यह पूछे जाने पर कि सरकार शराब की बिक्री बंद होने से होने वाले माली नुकसान की भरपाई कैसे होगी, नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें शराब से किसी राजस्व की ज़रूरत नहीं है। पिछले साल शराब बिक्री से बिहार सरकार को 3,300 करोड़ की आमदनी हुई थी।
देसी शराब पर प्रतिबंध लगाए जाने के पहले चार दिनों में राजनेता और पुलिसकर्मी खूब भाग-दौड़ करते नज़र आए, ताकि अभियान को ज़्यादा से ज़्यादा कामयाब बनाया जा सके।
बिहार के सभी 243 विधायकों ने नए कानून के पारित होने पर 'शराब से दूर रहने' की औपचारिक रूप से प्रतिज्ञा ली थी, वहीं सोमवार को राज्य के हज़ारों पुलिसकर्मियों ने एक पंक्ति में खड़े होकर शराब नहीं पीने तथा शराबबंदी को कामयाब बनाने का वचन दिया।
देसी शराब पर पाबंदी (जिसके तहत देसी और ज़हरीली शराब बनाते या बेचते पकड़े जाने पर मृत्युदंड का प्रावधान है) लागू होते ही राज्य के सभी ग्रामीण और शहरी इलाकों में देसी शराब बेचने वाली सभी दुकानें बंद हो गई हैं। पुलिस ने राजधानी पटना में एक कंट्रोल रूम बनाया है, जो नए कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 24 घंटे काम करेगा।
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