Wrestlers vs WFI Controversy: महिला पहलवान विनेश फोगाट ने ऐलान किया है कि वो अपना खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस करेंगी. विनेश फोगाट की यह घोषणा साक्षी मलिक के कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा करने और बजरंग पुनिया द्वारा अपना पद्मश्री लौटाने के एक हफ्ते से भी कम समय आया है. बता दें, विनेश फोगाट उन पहलवानों में शामिल थीं, जिन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. बृजभूषण शरण सिंह पर साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने कई महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और यह तीनों पहलवान उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे.
बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह के नेतृत्व वाले पैनल ने गुरुवार को भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनावों में जीत हासिल की थी. संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल करने के बाद साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का फैसला लिया था. इसके बाद बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला लिया था. हालांकि, रविवार को खेल मंत्रालय ने संजय सिंह के नेतृत्व वाले पैनल को निलंबित कर दिया था.
विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर मेडल लौटाने के साथ ही अपना बयान भी साझा किया है. विनेश ने लिखा,"साक्षी मलिक ने कुश्ती ने छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है. देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिये मजबूर होना पड़ा है, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आपतक भी यह मामला पहुंचा होगा. प्रधानमंत्री जी, मैं आपके धर की बेटी विनेश फोगाट हूं और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं."
विनेश फोगाट ने आगे लिखा,"मुझे साल याद है कि 2016 में जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं. और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं. आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तबसे मुझे वह साल 2016 बारबार याद आ रहा है. क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं. हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती हैं. मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था. लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है. बस यही दुआ करूंगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों को यह सपना जरुर पूरा हो."
विनेश ने अपने पत्र में आगे लिखा,"सर, हमारे मेडलों और अवार्डों को 15 रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं. जब हम गेश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने हमें अपना गौरव बताया. अब जब अपने न्याय के लिए आवाज उठायी चो हमें देशद्रोही बताया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि क्या हम देशद्रोही हैं?"
विनेश ने अपने पत्र में लिखा,"मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया गयाथा जिनका अब मेरी जिंदी में कोई मतलब नहीं रह गया है. हर महिला सम्मान से जिंदगी जीना चाहती है. इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड आपको वापस करना चाहती हूं ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें."
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