महिला पहलवान विनेश फोगाट ने कर्तव्य पथ पर छोड़ा खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार

विनेश ने मंगलवार को अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार सरकार को लौटाने का ऐलान किया था. विनेश ने अपने अवॉर्ड लौटाते हुए कहा था कि ऐसे समय में इस तरह के सम्मान बेमतलब हो गए हैं, जब पहलवान न्याय पाने के लिए जूझ रहे हैं.

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Vinesh Phogat: विनेश फोगाट ने कर्तव्य पथ के बीच में छोड़े अपने सम्मान

Vinesh Phogat Leaves Khel Ratna, Arjuna Award On Kartavya Path: एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता और विश्व चैम्पियनशिप में कई बार की पदक जीतने वाली विनेश फोगाट ने शनिवार को अपने खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा दिये और दिल्ली पुलिस द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय जाने से रोके जाने के बाद दोनों पुरस्कार कर्तव्य पथ के बीच में छोड़ दिये.  विनेश ने मंगलवार को अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार सरकार को लौटाने का ऐलान किया था. विनेश ने अपने अवॉर्ड लौटाते हुए कहा था कि ऐसे समय में इस तरह के सम्मान बेमतलब हो गए हैं, जब पहलवान न्याय पाने के लिए जूझ रहे हैं. विनेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपने फैसले की घोषणा की थी.

उन्होंने शनिवार को अपने पुरस्कार लौटाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. विरोध स्वरूप विनेश ने कर्तव्य पथ पर पुरस्कार छोड़ दिए और बाद में दिल्ली पुलिस ने इन्हें उठा लिया. विनेश ने ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के साथ मिलकर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के चुनाव का विरोध किया था. इन तीनों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और ये तीनों पहलवान तत्कालीन भारतीय कुश्ती महासंघ बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे.

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बजरंग पुनिया ने विनेश फोगाट का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह कर्तव्य पथ पर चल रही हैं. इस वीडियो में विशेन के हाथ में अर्जुन पुरस्कार है और एक कागज है जो एक लेटर लग रहा है. इसके बाद वह एक पुलिसकर्मी से बात करती नजर आती है जो उसके पास आता है. विनेश फोगाट को 2016 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जबकि 2020 में खेल रत्न दिया गया था. खेल रत्न देश का सर्वोच्च खेल सम्मान है.

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विनेश फोगट, साझी मलिक और बजरंग पुनिया ने बृज भूषण के करीबी सहयोगी संजय सिंह के नेतृत्व वाले पैनल द्वारा 21 दिसंबर को भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनावों में भारी जीत हासिल करने के बाद निराशा व्यक्त की थी. संजय सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण को हराया था, जिन्हें पहलवानों का समर्थन प्राप्त था.

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संयज सिंह को 47 में से 40 वोट मिले थे. हालांकि, 24 दिसंबर को खेल मंत्रालय ने हालांकि संविधान के प्रावधानों का पालन नहीं करने के लिए डब्ल्यूएफआई के नवनिर्वाचित पैनल को निलंबित कर दिया था जबकि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से खेल संस्था का कामकाज देखने के लिए एक तदर्थ पैनल का गठन करने के लिए कहा था. संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई प्रमुख की नियुक्ति के तुरंत बाद साक्षी ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी थी.

विनेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किए गए अपने पत्र में कहा था कि उनका जीवन सरकार के विज्ञापनों जैसा नहीं है जो महिला सशक्तिकरण और उत्थान के बारे में बात करते हैं. खेल मंत्रालय के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए आईओए ने बुधवार को डब्ल्यूएफआई का कामकाज चलाने के लिए तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया. विनेश फोगाट ने पुरस्कार लौटाने का फैसला से पहले बजरंग पुनिया ने भी अपना पद्मश्री लौटा दिया था.

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