Tokyo Olympics: भारतीय पुरुष हॉकी टीम (Indian Hockey Team) ने तोक्यो ओलंपिक खेलों में रविवार को यहां ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराकर 41 वर्षों बाद पहली बार ओलंपिक के अंतिम चार में पहुंचा है. बता दें कि भारत ने ओलंपिक में आखिरी पदक मास्को ओलंपिक 1980 में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था लेकिन तब केवल छह टीमों ने भाग लिया था और राउंड रोबिन आधार पर शीर्ष पर रहने वाली दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुकाबला हुआ था. इस तरह से भारत 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा है. यानि ओलंपिक में 49 साल के बाद भारत की टीम सेमीफाइनल में पहुंची है. भारत सेमीफाइनल में मौजूदा विश्व चैंपियन बेल्जियम से भिड़ेगा जिसने क्वार्टर फाइनल में स्पेन को 3-1 से हराया. दूसरा सेमीफाइनल आस्ट्रेलिया और जर्मनी के बीच खेला जाएगा, भारत की तरफ से दिलप्रीत सिंह (सातवें), गुरजंत सिंह (16वें) और हार्दिक सिंह (57वें मिनट) ने गोल किये। ग्रेट ब्रिटेन की तरफ से एकमात्र गोल सैमुअल इयान वार्ड (45वें) ने किया.
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भारत ने आक्रामक शुरुआत की लेकिन ब्रिटिश रक्षकों ने पहले मिनट में ही सर्कल में अफरातफरी होने के बावजूद गोल बचा दिया. इसके तुरंत बाद ब्रिटेन को पेनल्टी कार्नर मिला जिसका भारतीयों ने अच्छा बचाव किया. दिलप्रीत ने सातवें मिनट में ब्रिटिश रक्षकों की गलती का फायदा उठाकर गोल दागा. उन्होंने हालांकि गेंद पर बहुत अच्छी तरह से नियंत्रण बनाया और जब उनके सामने केवल गोलकीपर थे तब उन्हें अच्छी तरह से छकाया, भारतीय टीम ने रक्षण पर ध्यान दिया और बीच बीच में मौके बनाये। पहले क्वार्टर में ब्रिटेन के पास अधिक गेंद रही लेकिन भारतीय टीम अधिक आत्मविश्वास में दिखी. श्रीजेश ने फिर से अपने अनुभव और कौशल का परिचय देकर 12वें मिनट में बेहतरीन बचाव करके ग्रेट ब्रिटेन को बराबरी नहीं करने दी.
भारत का यह आत्मविश्वास दूसरे क्वार्टर में स्पष्ट दृष्टिगोचर हुआ। इस क्वार्टर के शुरू में ही हार्दिक ने ब्रिटिश खिलाड़ियों से गेंद छीनी। इसे उन्होंने गुरजंत की तरफ बढ़ाया जिन्होंने उसे खूबसूरती से गोल के हवाले किया. दिलप्रीत को बीच में ग्रीन कार्ड भी मिला लेकिन ग्रेट ब्रिटेन इसका फायदा नहीं उठा पाया. उसकी पासिंग भी अच्छी नहीं थी। दूसरे क्वार्टर में उसके पास सबसे अच्छा मौका तब आया जब जाचरी वालेस तेजी से गेंद लेकर आगे बढ़े। उन्होंने डी में अच्छी पोजीशन पर दिख रहे क्रिस्टोफर ग्रिफिथ को गेंद दी लेकिन वे उस पर नियंत्रण नहीं बना सके। भारत मध्यांतर तक 2-0 से आगे था.
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ग्रेट ब्रिटेन तीसरे क्वार्टर में गोल करने के लिये बेचैन दिखा. उसने भारत पर दबाव भी बनाया लेकिन उसके आक्रमण में पैनापन नजर नहीं आया। इस बीच भारतीय रक्षकों विशेषकर श्रीजेश ने अपना कमाल दिखाया.उन्होंने 39वें मिनट में ब्रिटिश टीम को गोल करने से रोका. श्रीजेश ने 44वें मिनट में रक्षण के अपने कौशल का बेहतरीन नमूना पेश किया लेकिन ग्रेट ब्रिटेन ने इस क्वार्टर के आखिरी मिनट में चार पेनल्टी कार्नर हासिल किये जिनमें से सैमुअल वार्ड चौथे को गोल में बदलने में सफल रहे.
ग्रेट ब्रिटेन ने दबाव बनाये रखा। उसने चौथे क्वार्टर में चार मिनट के अंदर दो पेनल्टी कार्नर हासिल किये लेकिन दोनों अवसरों पर श्रीजेश ने उसकी मैच में बराबरी करने की मंशा पूरी नहीं होने दी. मनप्रीत सिंह को 54वें मिनट में पीला कार्ड मिला और ग्रेट ब्रिटेन को पेनल्टी कार्नर दिया गया। इस बार भी श्रीजेश टीम के बचाव में आगे आये। उन्हें हैमस्ट्रिंग से भी जूझना पड़ा लेकिन वह मैदान पर डटे रहे.
इसके बाद हार्दिक का गोल दर्शनीय था। उन्होंने बीच मैदान से गेंद संभाली और अकेले ही उसे लेकर आगे बढ़े। उनका पहला शॉट ओलिवर पायने ने रोक दिया था लेकिन हार्दिक को फिर से गेंद मिली और इस बार उनका ताकतवर शाट दनदनाता हुआ जाली में उलझ गया। भारत की जीत सुनिश्चित हो गयी, इससे पहले आस्ट्रेलिया ने नीदरलैंड को पेनल्टी शूट आउट में 3-0 से हराया. यह मैच निर्धारित समय में 2-2 से बराबर था। जर्मनी ने एक अन्य क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना को 3-1 से शिकस्त दी थी.