टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में महिला डिस्कस थ्रो के फाइनल (Discus throw Final) में भारत की चक्का फेंक खिलाड़ी कमलप्रीत कौर (Kamalpreet Kaur) से मेडल से चूक गई हैं. वो फाइनल राउंड में छठे नंबर पर रहीं. फाइऩल में उनका बेस्ट थ्रो 63.70 मीटर का रहा. अमेरिका की वैलेरी ऑलमैन ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया, उनका बेस्ट थ्रो 68.98 मीटर का रहा. जर्मनी की क्रिस्टन पुडनेज के नाम सिल्वर मेडल रहा, उनका बेस्ट स्कोर 66.86 मीटर रहा, क्यूबा की येमी परेज 65.72 मीटर की दूरी के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल रही हैं. भले कमलप्रीत कौर मेडल नहीं जीत पाई लेकिन डिस्कस थ्रो के फाइनल में पहुंचने वाली वो भारत की पहली महिला बन गई हैं. जानिए कौन है कमलप्रीत कौर
कमलप्रीत के फाइनल में मेडल नहीं जीतने के बाद सचिन तेंदुलकर ने भी ट्वीट किया है और कमलप्रीत को मोटीवेट करने की कोशिश की है.
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महिला डिस्कस थ्रो के फाइनल के नियम
महिला डिस्कस थ्रो के फाइनल में दो राउंड के गेम होने हैं. पहले राउंड में टॉप 8 में रहने वाले खिलाड़ी आखिरी और निर्णायक राउंड में जाने का मौका मिलेगा. आखिरी राउड में भी एथलीट को 3 थ्रो करने का मौका मिलेगा. डिस्कस थ्रो के फाइनल में 12 एथलीट भाग ले रहे हैं. कमलप्रीत कौर फाइऩल दौर में पहुंच गई थी लेकिन वहां वो अपना सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस नहीं दे पाईं.
ऐसे बनाई थी कमलप्रीत ने फाइनल में जगह
कमलप्रीत ने क्वॉलिफिकेशन ग्रुप-बी में अपने तीसरे प्रयास में 64 मीटर का थ्रो फेंककर क्वॉलिफाइंग मार्क हासिल कर फाइनल का टिकट हासिल कर लिया था.
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कौन है कमलप्रीत कौर
कमलप्रीत कौर जाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले के बादल गांव की रहने वाली है. बचपन में उनको पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थआ. साल 2012 में उन्होंने खुद को एथलीट के तौर पर देखना शुरू किया. कमलप्रीत अपनी पहली स्टेट मीट में चौथे स्थान पर रहीं थी. एक इंटरव्यू में कमलप्रीत ने कहा कि अपने शुरूआती कोच के कहने पर ही उन्होंने अपना करियर एथलीट में बनाने का फैसला किया. साल 2014 में कौर ने अपनी ट्रेनिग और भी गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. उनके गांव में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्र में उनका प्रारंभिक प्रशिक्षण शुरू हुआ. अपनी मेहनत के दम पर कौर के करियर को जल्द ही गति मिल गई. वह 2016 में अंडर-18 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियन तो वहीं 2017 में 29वें विश्व विश्वविद्यालय खेलों में छठे स्थान पर रहीं थी.