अगले साल बर्लिन में होने वाले वर्ल्ड गेम्स से पहले 75000 भारतीय एथलीट और नॉन एथलीटों की हेल्थ स्क्रीनिंग होगी. ये सभी एथलीट मानसिक रूप से विशिष्ट श्रेणी में आते हैं. इनकी लड़ाई शारीरिक और मानसिक स्तर पर तो है ही साथ ही इनके लिए इनके वजूद की लड़ाई शायद सबसे बड़ी है. स्पेशल ओलिंपिक भारत यानी SOB नाम की संस्था भारत में ऐसे 2 से 3 करोड़ लोगों में से एथलीटों को ढूंढने, उनके हुनर को तराशने उन्हें खेलों में लाने और उनकी ज़िन्दगी को एक नये मायने देने की कोशिश करती है.
दुनिया भर में और भारत में भी एक अच्छी तादाद होने के बावजूद ऐसे एथलीट और लोग हाशिये पर ही हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. स्पेशल ओलिंपिक भारत की अध्यक्ष डॉ. मल्लिका नड्डा कहती हैं, "हमारे लिए इन्हें घरों से बाहर लाना एक बड़ी चुनौती है. पर ये भी बहुत बड़ी चुनौती है कि हम अपनी अलग पहचान के लिए लड़ रही हैं. ज़्यादातर लोग तो हमें पैरालिम्पिक गेम्स का हिस्सा मानने लगते हैं. लेकिन ऐसा है तो बिल्कुल नहीं." सचिन तेंदुलकर और ओलिंपिक पदक विजेता बॉक्सर एमसी मैरीकॉम और बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार जैसे सुपर स्टार्स इन्हें प्रोमोट करने की कोशिश करते देखे गए हैं. फिर भी इनके लिए पहचान कायम करने की मुश्किलें बनी हुई हैं.
कोविड के दौर में जब दुनिया भर के खेल के मैदानों पर भी तालाबंदी रही, इन स्पेशल एथलीटों की मुश्किलें और बढ़ गईं. स्पेशल ओलिंपिक भारत की अध्यक्ष डॉ. मल्लिका बताती हैं, "वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन WHO के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 200 मिलियन या 20 करोड़ लोग इस विशिष्ट श्रेणी में आते हैं. भारत में इनकी संख्या 2 फ़ीसदी या 2 से 3 करोड़ के बीच है. लेकिन फिर भी इनकी पहचान का छिपा होना एक फ़िक्र की बात है. हम इनके लिए ही काम कर रहे हैं."
7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे के दिन देश भर के 75 शहरों में एक साथ 75,000 एथलीटों और नॉन एथलीटों की हेल्थ स्क्रीनिंग कर इनकी फ़िटनेस और स्पोर्ट्स रेडिनेस की जांच की जाएगी. इसके बाद इन गेम्स में शामिल 24 में से 15 के लिए, साई या स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की मदद से, नेशनल कैंप लगाए जाएंगे. वर्ल्ड गेम्स में इनमें से क़रीब 300 भारतीय एथलीटों को जाने का मौक़ा मिलेगा.
बड़ी बात ये भी है कि ये एथलीट लंबे समय से भारत का परचम लहराते रहे हैं. एसओबी की रिजनल स्पोर्ट्स डायरेक्टर एकता झा बताती हैं, "आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय खिलाड़ी इस बार वर्ल्ड गेम्स में अपना 1500 वां अंतर्राष्ट्रीय मेडल जीतने जा रहे हैं. इन खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 444 गोल्ड, 504 सिल्वर और 551 ब्रॉन्ज़ मेडल जीते हैं. लेकिन 1499 मेडल के बावजूद इन एथलीटों को इनका श्रेय अबतक सही तरीके से हासिल नहीं हो सका है."
1987 से शुरू हुए वर्ल्ड समर गेम्स में जीतने वाले खिलाड़ियों को केंद्र सरकार के साथ हरियाणा जैसे कुछ राज्य इनामी रकम भी देने लगे हैं. लेकिन इन खेलों से जुड़े लोग अब अपनी बात ज़ोर- शोर से रखना चाहते हैं ताकि विकास की आपा-धापी में कोई पीछे ना छूट जाए.