थॉमस कप जीतने के बाद प्रकाश पादुकोण ने कहा-मुझे यकीन नहीं था ये इतनी जल्दी होगा, महिला खिलाड़ियों पर जताई चिंता

" इस अवसर का लाभ उठाने की जिम्मेदारी महासंघों और राज्य संघों की होगी. हमें देखना होगा कि अगले पांच से  10 वर्षों में हम इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं".

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इस 66 साल के पूर्व खिलाड़ी ने महिला टीम के प्रदर्शन पर चिंता जतायी.
नई दिल्ली:

भारतीय बैडमिंटन के पूर्व दिग्गज प्रकाश पादुकोण (Prakash Padukone) का  मानना है कि थॉमस कप की ऐतिहासिक जीत से भारत ने इस खेल के वैश्विक पटल पर अपना नाम दर्ज करा लिया है क्योंकि यह किसी भी व्यक्तिगत सफलता से काफी बड़ी उपलब्धि है. भारत ने रविवार को थॉमस कप के फाइनल मुकाबले में 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. पादुकोण ने एक साक्षात्कार में कहा,  मुझे उम्मीद नहीं थी कि यह इतनी जल्दी होगा. 

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मुझे लगा अभी 8-10 साल और लगेंगे
मुझे लगता था कि इसमें कम से कम और आठ से 10 साल लगेंगे. मेरा मानना है कि हम अब वैश्विक शक्ति बन गये हैं और अब भारत को इस खेल का महाशक्ति माना जायेगा. इससे खेल को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा.'' भारत की ओर से पहली बार ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप (1980) का खिताब जीतने वाले पादुकोण ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह भारतीय बैडमिंटन का स्वर्णिम पल है और इस शानदार सफलता को भुनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा,  यह एक संपूर्ण टीम प्रयास और एक प्रभावशाली जीत और एक महत्वपूर्ण अवसर था. मुझे लगता है कि यह किसी भी व्यक्तिगत सफलता से भी बड़ा है. हमें इसकी जरूरत थी और मुझे लगता है कि वह पल आ गया जब हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिये. अब समय इस सफलता को भुनाने का है.'' 

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इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए
पादुकोण (Prakash Padukone) की अगुवाई में भारत 1979 में थॉमस कप के सेमीफाइनल में पहुंचा था. उन्होंने कहा कि इस जीत का देश में बैडमिंटन के खेल पर काफी प्रभाव पड़ेगा और एक राष्ट्र के रूप में हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम लय को कम नहीं होने दे. उन्होंने कहा, ‘‘ यह इस खेल को और अधिक लोकप्रिय बनाएगा, खेल के विकास को अधिक गति मिलेगी, इसमें अधिक युवा जुड़ेंगे, अधिक कॉर्पोरेट और सरकारी मदद मिलेगी. कुल मिलाकर मानक में सुधार होना चाहिए और खेल का ग्राफ ऊपर जाना चाहिये.'' उन्होंने कहा कि अब खेल को आगे ले जाने के लिए राष्ट्रीय महासंघों और राज्य संघों की जिम्मेदारी और बढ़ जायेगी. उन्होंने कहा, ‘‘ इस अवसर का लाभ उठाने की जिम्मेदारी महासंघों और राज्य संघों की होगी. हमें देखना होगा कि अगले पांच से  10 वर्षों में हम इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं. खेल में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करना महत्वपूर्ण है. पादुकोण का मानना है कि सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग सेन की युगल जोड़ी का उभरना थॉमस कप में भारत की जीत के प्रमुख कारणों में से एक है. उन्होंने कहा, ‘‘युगल  हमेशा से हमारी कमजोरी रही, लेकिन अब हमारे पास ऐसी युगल जोड़ी है जो दुनिया में किसी को भी हरा सकती है. 

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महिला खिलाडियों के बारे में चिंता जाहिर की
पहले एकल खिलाड़ियों पर बहुत ज्यादा दबाव था लेकिन अब वे खुलकर खेल सकते हैं और थॉमस कप में कोर्ट पर यह दिखा.'' उन्होंने कहा, ‘‘जब लक्ष्य को हार का सामना करना पड़ा तभी भारतीय युगल जोड़ी जीत दर्ज करने में सफल रही.  इसने टीम को एक अच्छा संतुलन प्रदान किया है. इस बार सब कुछ एक साथ आया.'' इस 66 साल के पूर्व खिलाड़ी ने महिला टीम के प्रदर्शन पर चिंता जतायी. विश्व रैंकिंग में शीर्ष (1980 में) पर रह चुके इस पादुकोण ने कहा, ‘‘ पुरुषों की टीम में कम से कम हमारे पास गहराई है. मेरा मतलब है, लक्ष्य अभी भी युवा है, मिथुन, किरण जैसे कुछ खिलाड़ी अच्छा कर रहे हैं. गोपीचंद अकादमी में भी कुछ अच्छे खिलाड़ी है.  श्रीकांत और प्रणय थोड़े उम्रदराज हैं लेकिन वे कम से कम तब होंगे जब हम दो साल बाद इस खिताब का बचाव करने उतरेंगे. इसलिए हमारे पास पुरुषों के वर्ग में अच्छी टीम है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ महिलाओं के वर्ग में स्थिति थोड़ी चिंताजनक है. हमारे पास पुरुषों के समान महिला वर्ग में ‘बेंच स्ट्रेंथ' नहीं है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमारे पास प्रतिभा नहीं है. लेकिन उनमें से कोई भी साइना (नेहवाल) या (पीवी) सिंधु के समान स्तर का नहीं है. यह चिंताजनक है.

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