विनेश फोगाट ने आखिरकार पेरिस ओलंपिक 2024 में महिलाओं के 50 किग्रा फाइनल में अयोग्य करार दिए जाने मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. स्टार पहलवान ने ओलंपिक में कुश्ती स्पर्धा के फाइनल में प्रवेश कर इतिहास रच दिया था, क्योंकि वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला थीं. लेकिन 7 अगस्त को फाइनल मैच की सुबह विनेश का वज़न 50 किलोग्राम से 100 ग्राम अधिक पाया गया और इसलिए उन्हें नियमों के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया.
उन्होंने और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने संयुक्त रजत पदक के लिए कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी. विनेश ने अयोग्य करार दिए जाने के बाद एक बार भी इस मामले पर कुछ नहीं कहा. हालांकि, शुक्रवार को विनेश ने आखिरकार एक्स पर तीन पेज की पोस्ट के साथ अपनी लंबी चुप्पी तोड़ी है. विनेश ने इस दौरान बताया कि पेरिस ओलंपिक उनके लिए एक बड़ा अवसर क्यों था. साथ ही उन्होंने उन तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया है, जिन्होंने रात भी विनेश के साथ मेहनत की ताकि वो अपना वजन कम कर सकें.
विनेश ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर तीन पेज का एक बयान शेयर किया है. विनेश ने लिखा,"पहलवानों के विरोध के दौरान मैं भारत में महिलाओं की पवित्रता, हमारे भारतीय ध्वज की पवित्रता और मूल्यों की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी. लेकिन जब कोई 28 मई 2023 को भारतीय ध्वज के साथ मेरी तस्वीरों को देखता है, तो यह मुझे परेशान करती है. यह मेरी इच्छा थी कि इस ओलंपिक में भारतीय ध्वज ऊंचा फहराया जाए, मेरे साथ भारतीय ध्वज की एक तस्वीर हो जो वास्तव में इसके मूल्य का प्रतिनिधित्व करती हो और इसकी पवित्रता को बहाल करती हो, मुझे लगा कि ऐसा करने से झंडे पर क्या गुजरी और कुश्ती पर क्या गुजरी, इसका ठीक-ठीक पता चलेगा. मैं वास्तव में अपने साथी भारतीयों को यह दिखाने की उम्मीद कर रही थी."
उन्होंने कहा कि उन्होंने और उन्होंने परिस्थितियों के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया है. विनेश ने लिखा,"कहने के लिए बहुत कुछ है और बताने के लिए बहुत कुछ है लेकिन शब्द कभी भी पर्याप्त नहीं होंगे और शायद जब समय सही लगेगा तब मैं दोबारा बोलूंगी. 6 अगस्त की रात और 7 अगस्त की सुबह, मैं बस इतना ही कहना चाहती हूं हमने हार नहीं मानी, हमारे प्रयास नहीं रुके, और हमने आत्मसमर्पण नहीं किया, लेकिन घड़ी रुक गई और समय उचित नहीं था."
विनेश ने आगे लिखा,"मेरी किस्मत भी ऐसी ही थी. मेरी टीम, मेरे साथी भारतीयों और मेरे परिवार को ऐसा महसूस होता है कि जिस लक्ष्य के लिए हम काम कर रहे थे और जिसे हासिल करने की हमने योजना बनाई थी वह अधूरा है, हो सकता है कि कुछ न कुछ कमी हमेशा रह जाए और चीजें फिर कभी पहले जैसी न हों. शायद अलग-अलग परिस्थितियों में, मैं खुद को 2032 तक खेलते हुए देख सकती हूं, क्योंकि मेरे अंदर लड़ाई और मेरे अंदर कुश्ती हमेशा रहेगी. मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकती कि भविष्य में मेरे लिए क्या होगा, और इस यात्रा में आगे क्या होगा, लेकिन मुझे यकीन है कि मैं जिस चीज में विश्वास करती हूं और सही चीज के लिए हमेशा लड़ना जारी रखूंगी."
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