भारत के पूर्व लंबी दूरी के धावक और दो बार के ओलंपियन हरि चंद (Hari Chand) का सोमवार सुबह को पंजाब के होशियारपुर में 69 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने 1978 के बैंकाक एशियाई खेलों में दो गोल्ड मेडल जीते थे. उन्होंने बैंकॉक एशियाड (1978 Asian Games) में 5000 मीटर और 10000 मीटर दौड़ में पहला स्थान हासिल किया था. उन्होंने 1976 ओलंपिक गेम्स (Montreal Olympics) में 25-लैपर सेट के लिए एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया था और यह 32 साल तक बना रहा था. मॉन्ट्रियल में आयोजित 1976 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में वह 28: 48.72 के समय के साथ 10,000 मीटर की दौड़ के दूसरी हीट में आठवें स्थान पर आए थे.
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महान भारतीय एथलीट के इस राष्ट्रीय रिकॉर्ड को 32 साल बाद सुरेंद्र सिंह ने तोड़ा था.
भारतीय एथलेटिक्स के अनसंग हीरो का जन्म 1 अप्रैल, 1953 को पंजाब के होशियारपुर के घोरेवा गांव में हुआ था. हरि चंद डिस्टेंस रनिंग में भारत के उन महान खिलाड़ियों में से एक थे.
एशियन गेम्स के पदक विजेता खजान सिंह ने हरि चंद के निधन को भारतीय खेल के लिए एक बड़ी क्षति बताया है.
खजान सिंह ने NDTV से कहा, "यह भारतीय खेल के लिए बहुत बड़ी क्षति है. सीआरपीएफ में वह मेरे सीनियर थे. वह इतने प्रतिस्पर्धी और फिर भी इतने सरल इंसान थे. वह जहां भी जाते थे खिलाड़ियों को तैयार करते थे. मैंने व्यक्तिगत रूप से उनसे बहुत कुछ सीखा. वह हम में से कई लोगों के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश की तरह थे."
मॉस्को में हुए 1980 समर ओलंपिक में वो 10,000 मीटर की दौड़ में 10वें स्थान पर रहे थे.
वरिष्ठ पत्रकार नॉरिस प्रीतम ने कहा, "वह काफी साहसी एथलीट थे और उनमें गजब का सेंस ऑफ ह्यूमर था. लंबे प्रशिक्षण सत्रों के दौरान भी, वह चुटकुले सुनाते थे."
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नॉरिस प्रीतम ने यह भी याद किया कि कैसे यूरोपीय सर्किट के विशेषज्ञ उन्हें बहुत सम्मान के साथ देखते थे क्योंकि वह अपने पैरों के चारों ओर टेप लगाकर नंगे पैर दौड़ते थे.
खेलों में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने हरि चंद को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था.
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