"लोग ताना मारते थे...", पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप सिंह ने वायरल सेलिब्रेशन को लेकर NDTV Yuva Conclave में किया खुलासा

Navdeep Singh NDTV Yuva Conclave:  NDTV के कॉन्क्लेव कार्यक्रम युवा में पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप सिंह (Navdeep Singh) ने शिरकत की और अपने जर्नी को लेकर बात ही.

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Navdeep Singh NDTV Yuva Conclave:  NDTV के कॉन्क्लेव कार्यक्रम युवा में पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप सिंह (Navdeep Singh) ने शिरकत की और अपनी जर्नी को लेकर बात ही. कार्यक्रम में नवदीप ने अपने वायरल हुए  सेलिब्रेशन को लेकर बात की, इसको लेकर नवदीप ने कहा, " वह सेलिब्रेशन देश को गोल्ड मेडल दिलाने के लिए था. पर्सनल बेस्ट करने का जोश था. पिछली बार मैं अच्छा नहीं कर पाया था. ऐसे में जब मैंने बेस्ट थ्रो किया तो वह उन बातों को भुलाकर आगे बढ़ने के लिए वह सेलिब्रेशन था. "

लोग मारते थे ताना, उन लोगों को अपने सेलिब्रेशन से दिया जवाब

नवदीप सिंह ने कहा कि, "जब पिछले ओलंपिक में मैंने चौथा स्थान हासिल किया था तो मुझे काफी लोगों ने कहा था कि .आप बाहर जाकर कुछ नहीं कर पाते हैं. आप इंडिया-इंडिया में ही अच्छा पऱफॉर्मेंस करते हो. आप बाहर जाकर कुछ नहीं कर पाओेगे. मैंने जो रिएक्शन दिया वह इन्हीं सभी बातों को लेकर था. मैं उन लोगों को बताना चाहता था कि मैं क्या कर सकता हूं."

कोच से क्यों कहा "खाओ मां कसम"

पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप सिंह ने उस बारे में भी बात की, जब उन्होंने कोच से अपने थ्रो के बारे में पूछा था औऱ उन्हें मां की कसम खाने के लिए कहा था.. इस बारे में नवदीप ने NDTV को बताया "देखिए मुझे पता नहीं था. कोच ने मुझे झुठ बोला था .. या कोई और बात होगी. मुझे खुद पर यकीन नहीं था कि मैं इतना लंबा थ्रो कर पाउंगा. वह जो मार्क था वह एक मीटर कम था. मैंने सोचा था कि मैं 45 मीटर तक थ्रो करूंगा.. मैंने पूरी उम्मीद की थी कि मैं अच्छा थ्रो करूंगा. जब मैंने दूसरा थ्रो 46.9 मीटर तक फेंका तो मुझे यकीन नहीं हुआ था. मैंने कोच साहब से इस बारे में पूछा. मैं थोड़ा सरप्राइज भी हुआ था. इसलिए मैंने कोच साहब से कहा था "खाओ मां कसम.."

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खुद के वायरल वीडियो को देखकर क्या क्या सोच रहे थे नवदीप

वहीं, कार्यक्रम के दौरान एक महिला फैन ने नवदीप से उनके वायरल सेलिब्रेशन वाले वीडियो को लेकर सवाल पूछा कि "जब आपने आपना वीडियो देखा तो आपका क्या रिएक्शन था". इसपर नवदीप ने कहा कि, "मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं, जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं माफी मांगता हूं."

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नवदीप ने इस बारे में कहा, "मैं मन से कहूं तो देखकर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था. मैं बार-बार देख रहा था. मुझे देखकर पश्चाताप हो रहा था. मैं बिल्कुल भी ऐसा नहीं हूं, मैंने BA हिन्दी ने ग्रेजुएशन किया है मैं ऐसा कभी नहीं बोलता हूं, मेरे को अभी भी मौका मिले तो मैं उसके लिए माफी मांगना चाहूंगा. लेकिन वहां पर इसकी जरूरत थी. ओलंपिक जैसे मंच पर आपको आक्रमकता दिखानी होती है. यदि मैं वहां आक्रमकता नहीं दिखाता तो अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाता. इसलिए मैं वहां थोड़ा आक्रमक हो गया था. मैं आगे ऐसा प्रयास करूंगा कि यह फिर कभी नहीं हो."

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बचपन में लोग मुझे देखकर हंसा करते थे. 

नवदीप ने अपनी लंबाई को लेकर मजाक बनाने वाले समय को लेकर भी बात की और कहा कि, बच्चे मुझे देखकर हंसा करते थे ,मुझे समझ में नहीं आता था कि बच्चे क्यों मुझे देखकर हंस रहे हैं. मैं जब खुद भी छोटा था तो मुझे ताना मारे जाते थे. मुझे एहसास होता था, नवदीप ने कहा कि जो भी मेरे साथ घटनाएं होती थी मैं एक दो मिनट के बाद उसे भूल जाता था. एक तरह से मैं नई शुरूआत कर लेता था. मैं उन बातों को अपने मन में नहीं रखता था. मैं सिर्फ आगे के लिए सोचता था. परेशान शुरुआत में होती थी. मैंने चलो अपने आप को बेहतर कर लिया. लेकिन और जो मेरे जैसे हैं, जो इन बातों को सहन नहीं कर पाते हैं तो वो अपने आप को एक रूम में बंद कर लेते हैं. इस चक्कर में वो बड़ी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. मैं उन लोगों को कहूंगा कि आप खुद से नाराज न रहें . 

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पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप सिंह से जब सवाल किया गया कि आपको गुस्सा आता है, इसपर नवदीप ने सीधा जवाब दिया और कहा," मुझे नहीं आता है. नॉर्मल लाइफ में कभी नहीं आता है"

बता दें कि पुरुषों की भाला फेंक F41 स्पर्धा में, नवदीप का रजत पदक स्वर्ण पदक में बदल गया, क्योंकि प्रारंभिक विजेता, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के सादेग बेत सयाह को फाइनल से अयोग्य घोषित कर दिया गया. नवदीप ने शुरुआत में 47.32 मीटर के सीजन-बेस्ट थ्रो के साथ दूसरा स्थान हासिल किया था, जबकि अयोग्य घोषित किए जाने से पहले सादेग 47.64 मीटर के पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ शीर्ष पर थे. टोक्यो में नवदीप चौथे नंबर पर रहे थे. 

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