- भारत की कोनेरू हंपी और दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया के बातूमि में महिला शतरंज वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई.
- भारत में ग्रैंडमास्टर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो चीन और पाकिस्तान से कहीं अधिक है.
- पाकिस्तान में केवल एक मरणोपरांत ग्रैंडमास्टर हैं और वहां की महिला खिलाड़ियों की रेटिंग अभी बहुत कम है.
जॉर्जिया के बातूमि में भारत की कोनेरू हंपी और दिव्या देशमुख के बीच फाइनल ने विजेता और उपविजेता का एलान पहले ही कर दिया. भारत की ही चैंपियन, भारत की ही उपविजेता. भारतीय चेस का गोल्डन जेनेरेशन महिला और पुरुष दोनों वर्ग में लगातार इतिहास रच रहा है.
भारत की सबसे कम उम्र की और पहली महिला भारतीय ग्रैंड-मास्टर कोनेरू हंपी और बेहद टैलेंटेड दिव्या देशमुख भारत की गोल्डन जेनेरेशन और बेहद मज़बूत बेंच की गवाह हैं. इस विरासत को तैयार करने में दो बार के FIDE वर्ल्ड कप विजेता और 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने कमाल की भूमिका निभाई है.
भारतीय गोल्डन जनरेशन का जलवा
भारत दुनिया में शतरंज का नया पावर हाउस है. भारत में ग्रैंडमास्टर्स GM की संख्या तेज़ी से शतक की ओर बढ़ रही है. दिव्या देशमुख और वन्तिका अग्रवाल जैसी कई खिलाड़ी महिलाओं में और पुरुषों में भी इस खिताब की दहलीज़ पर हैं. पिछले 10-15 साल में इस संख्या में बहुत तेज़ी आई है.
चीन को पछाड़कर भारत बना चैंपियन
FIDE वर्ल्ड कप के नॉकआउट टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंचने के लिए 38 साल की कोनेरू हंपी और 19 साल की दिव्या देशमुख ने कई चीनी खिलाड़ियों को शिकस्त दी. 5वीं वर्ल्ड रैंकिंग वाली कोनेरू हंपी ओलिंपियाड, एशियाड और एशियन चैंपियनिप की गोल्ड मेडल विजेता हैं. ग्रैंडमास्टर GM कोनेरू ने सेमीफाइनल में लेई टिंगजी (चीन, WR 3) को 5-3 के अंतर से हराया, जिसमें उन्होंने टाईब्रेक में बाजी मारी. क्वार्टरफाइनल में सॉन्ग युक्सिन (चीन, WR 36) को हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की.
नागपुर की 19 साल की इंटरनेशनल मास्टर IM दिव्या देशमुख ने सेमीफाइनल में चीन की तान झोंगयी (चीन, WR 8) को 1.5-0.5 से हराया. इससे पहले क्वार्टरफाइनल में इस टीनेजर ने ग्रैंडमास्टर GM हरिका द्रोणावल्ली (भारत, WR 12) को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई.
दोनों के क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे, लेकिन दिव्या ने टाईब्रेक में जीत हासिल की. प्री-क्वार्टरफाइनल में दिव्या ने जिनेर झू (चीन, WR 6) को 2.5-1.5 से हरा दिया. टीम इंडिया के कोच अभिजीत कुंटे कहते हैं,"दिव्या ने फाइनल तक पहुंचने से पहले कोई गेम नहीं गंवाया और खासकर जिनेर झू को हराया वो गेम बेहद शानदार था. उस गेम में दिव्या ने कमाल की मैच्योरिटी (परिपक्वता) दिखाई."
चीन से दोगुना, पाकिस्तान ने 90 गुणा आगे
भारत में तकरीबन 87 ग्रैंडमास्टर्स हैं, जबकि चीन में 45 और पाकिस्तान मं सिर्फ़ 1. ग्रैंडमास्टर्स की संख्या किसी देश की चेस क्षमता का एक इशारा होता है. ओपन में या खासकर पुरुषों की रैंकिंग देखें तो दुनिया के टॉप 100 में अमेरिका के बाद भारत का ही नाम आता है. टॉप 100 में अमेरिका के 12, भारत के 10 और चीन 6 खिलाड़ी हैं.
महिला वर्ग में टॉप 100 में टॉप पर चीन है. चीन के 14 के बाद भारत के 6 खिलाड़ी टॉप 100 में शामिल हैं. लेकिन FIDE वर्ल्ड कप में कोनेरू और दिव्या ने चीन की मज़बूत खिलाड़ियों को मात देकर भारत का दबदबा साबित कर दिया.
पाकिस्तान का इकलौता ग्रैंडमास्टर
पाकिस्तान में अबतक सिर्फ सुल्तान खान को पिछले साल 2024 में मरणोपरांत ग्रैंडमास्टर की उपाधि दे दी गई. वो पाकिस्तान के बेहतरीन चेस खिलाड़ी माने जाते हैं. लेकिन सुल्तान खान ने आज़ादी से पहले 1929, 1932, और 1933 जीता था. आज़ादी के बाद वो पाकिस्तान जाकर बस गए. इंटरनेशनल मास्टर IM महमूद लोधी फिलहाल पाकिस्तान के टॉप शतरंज खिलाड़ी माने जाते हैं.
महिलाओं में शिबा शाह (रेटिंग 1778), फरीहा सिद्दिकी (रेटिंग 1715) और ज़ेनोबिया वासिफ (रेटिंग 1712) जैसी खिलाड़ी हैं. ज़ाहिर है इनके लिए ग्रैंडमास्टर (रेटिंग 2500) का सफर बेहद लंबा होने वाला है.
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