भारतीय कुश्ती महासंघ का चुनाव जीतने वाले संजय सिंह ने खेल मंत्रालयर द्वारा अपने नेतृत्व वाले पैनल के निलंबन पर बोलते हुए कहा है कि वे पहले सरकार से बात करेंगे और अगर बात नहीं बढ़ेगी तो हम कुश्ती संस्था को बचाने के लिए कानूनी सलाह लेंगे. एनडीटीवी से बात करते हुए, यौन उत्पीड़न के आरोपी पूर्व महासंघ प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी के रूप में देखे जाने वाले संजय सिंह ने दावा किया कि अंडर -15 और अंडर -20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को आयोजित करने का निर्णय युवा पहलवानों के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था. केंद्रीय खेल मंत्रालय ने पैनल को निलंबित करते हुए इस फैसले को ''जल्दबाजी'' करार दिया था और कहा था कि यह ''डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन किए बिना'' लिया गया था. निलंबित डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ने यह भी बताया कि बृज भूषण और पहलवान साक्षी मलिक दोनों ने कहा है कि वे अब इस खेल से जुड़े नहीं रहेंगे और राजनीति को मुद्दा बनाए बिना कुश्ती को जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए.
संजय सिंह ने कहा,"हम पहले तो सरकार से बात करेंगे और अगर वह सरकार से बात नहीं बढ़ेगी तो, तो मैं अपने फेरडेशन को बचान के लिए कानूनी सलाह लूंगा. जो आरोप लगाया है जिस आरोप की वजह से कि हमने जल्दीबाजी में फैसला लिया अंडर-15 और अंडर-20 के लिए...तो जल्दीबाजी का फैसला मैंने कोरम को पूरा करते हुए लिया है, एजीएम पूरी इकट्ठी थी, वोटिंग के लिए हर स्टेट से दो-दो डेलिगेट्स आए थे. तो उनके वही चुनाव जीतने के बाद वहां स्थगित किया गया मीटिंग और होटल में लाकरके मीटिंग को किया गया. सारे स्टेट के डेलिगेट्स ने ये फैसला लिया कि किसी कैलेंडर ईयर में अगर यह नहीं कर दिया जाता है तो इन खिलाड़ियों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा. आगे उनका सर्टिफिकेट नौकरी के लिए, एडमिशन के लिए, तमाम जगह उनका सर्टिफिकेट काम आता है."
वहीं अंडर -15 और अंडर -20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का कार्यक्रम स्थल उत्तर प्रदेश के गोंडा में नंदिनी नगर रखा गया जिसको लेकर विवाद हुआ. गोंडा को बृजभूषण का गढ़ माना जाता है. ऐसे में इसको लेकर भी विवाद हुआ था. संजय सिंह ने इस बारे में कहा,"सब लोगों ने अपनी सहमति दी कि हमारे पास बुनियादी ढांचा नहीं है. नंदिनी में एक टाटा का सेंटर हैं और एक साई का सेंटर हैं. दो नेशनल एक साथ कराने के लिए कम से कम छह मैट की जरूरत होती है. इसलिए नंदिनी को सबकी सहमति से दिया गया. यह अकेले मेरा निर्णय नहीं है. कोरम पूरा किया गया है."
वहीं इसे हरियाणा बनाम उत्तर प्रदेश को लेकर कहा,"हरिणाया आप इसको नहीं कह सकते. एक परिवार, एक अखाड़ा एक फैमली कह सकते हैं. हरियाणा के तो 99% बच्चे आज भी हम लोगों के साथ हैं, जिनकी कुश्ती बर्बाद हो रही है उनकी कुश्ती को बचाना है."
वहीं इस मामले के पीछे क्या राजनीति कोई कारण है, इस पर जवाब देते हुए संजय सिंह ने कहा,"हम लोग खेल करते हैं, जो लोग राजनीति करते हैं वो राजनीति करें. उनको राजनीति करना है तो राजनीति करें उन्हें राजनीति के अखाड़े में जवाब दिया जाएगा. खेल वाले में खेल वालों को जवाब दिया जाएगा. वहीं क्या यह संजय सिंह के जरिए बृजभूषण पर दबाव बनाने की कोशिश है, इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा,"ऐसे बृजभूषण सिंह के करीबी हम 12 साल से लगातार 2008 से कुश्ती संघ में है और वो कुश्ती संघ के अध्यक्ष 2011 में चुने गए. जो कुश्ती संघ में है उसके अध्यक्ष से उसकी बात तो होगी ही. खेल के प्रति मेरा लगाव है, खेल के प्रति मेरे लगाव को देखते हुए उनसे थोड़ी मेरी घनिष्ठता बढ़ी. उसकी वजह से कोई दिखा. बृजभूषण सिंह जी ने तो अपना संन्यास ले लिया. कुश्ती से अब उनका कोई मतलब नहीं है. साक्षी मलिक ने भी संन्यास ले लिया तो कुश्ती को लोग प्रेम से आगे बढ़ने दें. नए पहलवानों का विकास हो. नए पहलवानों की जो कुश्ती रूकी हुई है एक साल से हमारी एक्टिविटी बंद है वो चालू हो. इसमें राजनीति ना करें. राजनीति दोनों लोग अपना अलग-अलग जाकर करें.
बता दें, संजय सिंह के नेतृत्व वाले पैनल को निर्वाचित होने के तीन दिन बाद ही रविवार को खेल मंत्रालय द्वारा निलंबित कर दिया गया. इन तीन दिनों में काफी गतिविधियां देखने को मिलीं. ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दिया, बजरंग पुनिया ने अपना पद्म श्री लौटा दिया था. खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ से भारतीय कुश्ती महासंघ के रोजमर्रा के मामलों के प्रबंधन के लिए एक तदर्थ पैनल गठित करने को कहा है.
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