बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों (CWG 2022) में गोल्ड मेडल जीतने वाले पाकिस्तान के वेटलिफ्टर नूह दस्तगीर बट (Nooh Dastgir Butt) दो बार अंतरराष्ट्रीय इवेंट के लिए भारत आ चुके हैं. पहली बार 2015 में पुणे में यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान और उसके अगले साल गुवाहाटी में हुए साउथ एशियन गेम्स (South Asian Games) के लिए. 24 साल के पाकिस्तानी एथलीट ने कॉमनवेल्थ गेम्स के तीनों रिकॉर्ड बनाए. बट ने स्नैच में 173 किलो, क्लीन एंड जर्क में 232 किलो और कुल 405 किलो उठाकर नया रिकॉर्ड सेट किया.
इसी प्रतिस्पर्धा में भारत के गुरदीप सिंह (Gurdeep Singh) ने तीसरा स्थान हासिल कर ब्रॉन्ज मेडल जीता और बट उन्हें अपना अच्छा दोस्त बताते हैं.
बट ने PTI से कहा, "मैं दो बार भारत आ चुका हूं और हर बार मुझे जो समर्थन मिला वह यादगार है. मैं फिर से भारत वापस जाने के लिए तरस रहा हूं."
उन्होंने मजाक में कहा, "मुझे लगता है, मेरे पाकिस्तान से ज्यादा भारत में फैंस हैं.”
पड़ोसी देशों के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच 2016 में पाकिस्तानी दल गुवाहाटी-शिलांग में दक्षिण एशियाई खेलों के लिए आया था. उस चैंपियनशिप को छह साल हो चुके हैं लेकिन बट को फिर से भारत आने का मन है.
पाकिस्तानी एथलीट ने कहा, “में गुवाहाटी-शिलांग में दक्षिण एशियाई खेलों के लिए आया था, केवल "खुद को घर पर महसूस करने के लिए" "लेकिन जब मैं गुवाहाटी में था, तो होटल के कर्मचारी जैसे मेरा विस्तारित परिवार हो गए और मेरे जाने पर आंसू बहा रहे थे. उन 10-15 दिनों में ऐसा संबंध बन गया था.”
उन्होंने आगे कहा, "निश्चित रूप से, मैं फिर से भारत का दौरा करने के लिए उत्सुक हूं. मैंने कभी भी किसी अन्य प्रतियोगिता का आनंद नहीं लिया, जिस तरह से भारत में किया था."
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उन्होंने पिता-सह-कोच गुलाम बट के तहत अनुकूलित व्यायामशाला और प्रशिक्षण लिया है. यह वेटलिफ्टिंग में कॉमनवेल्थ गेम्स में पाकिस्तान का सिर्फ दूसरा गोल्ड मेडल है. इससे पहले मेलबर्न 2006 में शुजा-उद्दीन मलिक (85 किग्रा) स्वर्ण जीतने वाले देश के एकमात्र भारोत्तोलक थे.
जूडोका शाह हुसैन शाह राष्ट्रमंडल खेलों 2022 के मंच पर कांस्य पदक जीतने वाले अन्य पाकिस्तानी हैं.
उनके पिता-सह-कोच गुलाम दस्तगीर एक पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन और दक्षिण एशियाई खेलों के पदक विजेता थे. उन्होंने अपने बेटे के लिए गुजरांवाला के घर में एक व्यायामशाला बनाई है, जहां वह घंटों ट्रेनिंग करते हैं.
स्वर्ण पदक विजेता बट ने कहा, "मुझसे बहुत उम्मीदें थीं क्योंकि हमारे कई साथी एथलीट जीत नहीं सके. मेरे कंधों पर मेरे देश को राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक दिलाने की जिम्मेदारी थी."
नूह दस्तगीर बट ने कहा, “2018 के बाद मैंने चोट की वजह से संघर्ष किया इसलिए मैं टोक्यो नहीं जा सका. मैंने इसके लिए पिछले दो-तीन सालों से अपने 'अब्बू' (उर्दू में पिता) के साथ बहुत काम किया और वापसी की."
उन्होंने आखिरी में कहा, "मेरे पिताजी मेरी प्रेरणा हैं. वह अपने समय के सर्वश्रेष्ठ भारोत्तोलक थे. यह पदक उनका है."
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