राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज जैसमीन लम्बोरिया की निगाहें पेरिस ओलिंपिक कोटा हासिल करने पर लगी हैं जिसके लिए वह मानसिक मजबूती बढ़ाने के साथ अपने मुक्कों को दमदार करने पर भी ध्यान लगा रही हैं. एशियाई खेलों में पदार्पण के दौरान जैसमीन ने 60 किग्रा वर्ग का पहला दौर दबदबा बनाते हुए जीता लेकिन क्वार्टरफाइनल में रैफरी ने उन्हें चेतावनी दी जिसके बाद वह समझ नहीं सकीं कि वापसी कैसे की जाये और रैफरी ने मुकाबला रोककर प्रतिद्वंद्वी को विजेता घोषित किया. इसी बीच, विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता मनीषा मौन और जैसमीन लम्बोरिया ने सोमवार को यहां महिला राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के 60 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश किया. सेना का प्रतिनिधित्व कर रही राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता जैसमीन ने क्वार्टरफाइनल में महाराष्ट्र की पूनम कैथवास को रैफरी द्वारा मुकाबला रोके जाने के बाद पराजित किया।
जैसमीन ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में अपना क्वार्टरफाइनल जीतने के बाद कहा, ‘मुझे चेतावनी दी गयी थी, मुझे पहली बार ‘काउंटिंग' मिली. मैं इसे संभाल नहीं सकी. इसलिये इस तरह के हालात में वापसी का तरीका जानना बहुत महत्वपूर्ण होता है जो मैं नहीं कर सकी.' इस जीत से उन्हें पदक के अलावा पेरिस ओलिंपिक कोटा भी मिल गया होता.
जैसमीन ने कहा, ‘एशियाड मुकाबले के बाद कोच ने मुझे मानसिक पहलू पर काम करने को कहा. मैं मनोचिकित्सक के साथ काम कर रही हूं. मैं काफी चीजें सीख रही हूं, मैं अपनी कमजोरियों पर काम करने की कोशिश कर रही हूं. मेरा खेल भी समय के साथ बेहतर हो रहा है. पर एकदम से नहीं आ रहा, समय लग रहा है.' इस वर्ग में शीर्ष तीन मुक्केबाजों को राष्ट्रीय शिविर में भेजा जाएगा, जहां उनका आंकलन होगा और इसी के आधार पर एक मुक्केबाज को अगले ओलिंपिक क्वालीफायर के लिए चुना जाएगा जो 29 फरवरी से 12 मार्च तक इटली के बुस्तो अर्जिजियो में होगा.
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