जान लेने वाली 'लाइफलाइन', क्यों खतरनाक है लोकल ट्रेन का मुंब्रा-कलवा-दिवा रूट?

सोमवार सुबह आई परेशान करने वाली ये तस्वीरें मुंबई से करीब मुंब्रा की हैं. खचाखच भरी लोकल में जो यात्री पांव रखने की जगह नहीं ढूंढ पाया, वो दरवाजे पर लटका रहा, नतीजा मुंब्रा-दीवा के बीच करीब 13 यात्री ट्रैक पर गिर पड़े. चार की जान चली गई.

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मुंबई में 68 लाख यात्री रोजाना भीड़ में परेशान होकर लोकल ट्रेन से सफर करते हैं, लेकिन आज खतरों का ये खेल तब घातक साबित हुआ जब चलती ट्रेन से कई यात्री ट्रैक पर गिर गए, चार की मौत हो गई. विषय सिर्फ आज का हादसा नहीं. इस हादसे ने कई गंभीर सवाल पीछे छोड़े हैं. मुंबई की 'लाइफलाइन' लोगों की जान क्यों ले रही है? सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाले शहर के यात्रियों को जानवरों की तरह ट्रेन में सफर कर यूं रेलवे ट्रैक पर दम तोड़ना पड़े. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी?  सोमवार सुबह आई परेशान करने वाली ये तस्वीरें मुंबई से करीब मुंब्रा की हैं. खचाखच भरी लोकल में जो यात्री पांव रखने की जगह नहीं ढूंढ पाया, वो दरवाजे पर लटका रहा, नतीजा मुंब्रा-दीवा के बीच करीब 13 यात्री ट्रैक पर गिर पड़े. चार की जान चली गई.

सेंटरल रेलवे के सीपीआरओ ने स्वप्निल नीला ने कहा कि यह हादसा दुखद है, अभी तक इसमें चार लोगों की मौत हो गई है और चार लोग गंभीर रूप से घायल हैं और कुछ और लोगों को छोटी चोटें आई हैं. यह घटना आज सुबह 9:30 बजे हुई जब दिवा और मुंब्रा के बीच एक कर्व है वहां लोग ट्रेन में बाहर लटके हुए थे और तब यह हादसा हुआ, हम लोग मामले में वीडियो फोटेज और बाकी चीजे निकाल रहे है,जांच की जा रही है. बता दें कि मृतकों के परिवारों को 5 लाख की मदद राशि, घायलों के लिए मुफ्त इलाज और हादसे की बड़ी जांच की घोषणा की गई है .

महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि मृतकों के परिवार को 5 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी. अस्पताल में भर्ती घायलों के इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी.

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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने स्वयं भी डॉक्टरों से बात की है. इस दुर्घटना की रेलवे द्वारा जांच शुरू कर दी गई है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इस जांच के माध्यम से दुर्घटना का सही कारण जल्द पता चल जाएगा.

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हादसे के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि इस रूट पर लगभग हर रोज भीड़ के कारण ट्रेन से गिरने के हादसे होते रहते हैं. इस बार बड़ी संख्या ने सुर्खियां बटोरी. 

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प्रत्यक्षदर्शी शिव ने कहा कि मैं स्टेशन के बिल्कुल पास था, मेरे सामने ही ट्रैक पर 8-10 लोग गिरे थे. पर ये नया नहीं है आए दिन लोग यहां गिरते रहते रहते हैं. कल भी एक गिरा था, परसों भी गिरा.

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RTI रिप्लाई का हवाला देते हुए, मुंबई रेल प्रवासी वेलफेयर एसोसिएशन ने हादसे के पीछे गंभीर मुद्दों को उठाया ; 

  • तीन महीने में हादसे वाले रूट — मुंब्रा-कलवा-दिवा में 293 लोगों ने जान गंवाई है. 
  • इस रूट में 'शार्प कर्व' के कारण ज़्यादा स्पीड के दौरान भीड़भाड़ वाली ट्रेन से लोग गिरते रहते हैं
  • साथ ही ट्रैक के बीच बेहद कम अंतर, दो ट्रेनों के साथ में गुजरने से लटके हुए यात्रियों के लिए खतरनाक साबित होता है जैसा कि इस हादसे में हुआ. 
  • एक्सप्रेस ट्रेनों को निकलने के लिए प्राथमिकता देने और लोकल ट्रेन को 30-40 मिनट की देरी से दौड़ाना भी इस रूट की लोकल में भीड़ बढ़ने के कारण बनते हैं. 
  • रेलवे बोर्ड ने फैसला किया है कि लोकल ट्रेनों में अब अनिवार्य रूप से ऑटोमैटिक डोर बंद करने की सुविधा जोड़ी जाएगी. ताकि यात्री दरवाज़े पर ना लटकें. 
  • मुंबई रेल प्रवासी वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष  मधु कोटियान ने बताया कि ये नया नहीं है, इस रूट में शार्प कर्व से हादसे होते रहते हैं. तीन महीने में 290 से ज़्यादा लोग मर गए. एक्सप्रेस ट्रेन को पहले छोड़ते हैं, लोकल देरी से चलने के कारण भीड़ बढ़ जाती है. लोग अचानक बढ़ने लगते हैं ट्रेन में, ट्रैक के बीच अंतर काफ़ी कम है दो ट्रेन गुजरे तो भी लोग गिरते रहते हैं, हमारी शिकायत के बाद थोड़ी स्पीड ट्रेन की कम की गई, लेकिन हादसे हर रोज हो रहे हैं.
  • मुंबई रेलवे दुनिया का सबसे व्यस्त रेलवे माना जाता है. ये शहर की लाइफलाइन है क्योंकि बेहद कम पैसे में 68 लाख यात्री रोजाना इससे सफर करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी की पीक ऑवर में ट्रेन में प्रति वर्ग मीटर में 14 से 16 यात्री खड़े होते हैं. किसी यात्री को ट्रेन में सीट मिलना उसके लिए उस दिन की बड़ी जीत होती है.

विपक्ष सिर्फ़ 9 जून के हादसे को नहीं बल्कि ट्रेनों की चरमराई व्यवस्था पर रेलवे को घेर रहा है. 

एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि रेलवे कुछ छिपा रहा है, घायलों ने मुझे बताया है कि दोनों ट्रेनें एक-दूसरे से टकराईं. यह कुछ असामान्य था. दिवा, मुंब्रा और ठाणे स्टेशनों पर भीड़ पिछले कई सालों से बढ़ रही है. रेलवे को इस बारे में अच्छी तरह पता है लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं. इस दुर्घटना के लिए रेलवे पूरी तरह जिम्मेदार है. 2024 का आरटीआई से निकला आंकड़ा बताता है की 570 लोगों की ट्रेन से गिरकर मौत हो गई. ट्रेनों में 'भेड़ बकरियों' की तरह सफर करने वाले मुंबईकरों की बदतर होती हालत किसी से छुपी नहीं इसलिए चमकदार गगनचुंबी इमारतों-ढांचों से कहीं ज़्यादा एक आम मुंबईकर शहर की “लाइफ़लाइन” को जल्द दुरुस्त होते देखना चाहता है.
 

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