मुंबई:
महाराष्ट्र सरकार ने बीजेपी नेता एकनाथ खड़से के खिलाफ़ लगे आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय कमीशन नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने इस जाँच कमीशन की घोषणा की थी। खड़से पर लगे आरोपों के बाद राजस्व विभाग समेत अन्य ग्यारह विभागों का इस्तीफ़ा देते हुए एकनाथ खड़से ने जांच कमीशन की मांग की थी। राज्य सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी बताती है की, दिनकर झोटिंग का एक सदस्यीय कमीशन खड़से के खिलाफ़ लगे आरोप की जांच करेगा। झोटिंग हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस हैं।
राजस्व मंत्री रहते हुए खड़से पर जमीन हथियाने के हैं कई आरोप
राजस्व मंत्री रहते हुए एकनाथ खड़से पर राज्य में जमीन हथियाने के कई आरोप लगे। इन में पुणे ज़िले की भोसरी MIDC और जलगाव ज़िले की जलगाव MIDC की सरकारी जमीन को खरीदने का मामला प्रमुखता से सामने आया है। इन आरोपों को एकनाथ खड़से पहले ही नकार चुके हैं।
घूसखोरी के एक मामले में मिली है खड़से को राहत
इस बीच घूसखोरी के आरोप के एक मामले में खड़से को राहत मिल गयी है। महाराष्ट्र लोकायुक्त एम एल तहलियानी ने एकनाथ खड़से के खिलाफ़ घूसखोरी की शिकायत रद्द की है। लोकायुक्त ने मामले को जाँच के बाद तथ्यहीन बताकर बंद किया है।इस मामले में शिकायतकर्ता रमेश जाधव का कहना था की गजानन पाटील नामक व्यक्ति ने खुद को खड़से का PA बताते हुए 30 करोड़ रु की घूस मांगी थी। ये रकम शिक्षा संस्थान के लिए जमीन आवंटन करने के लिए मांगी जाने का दावा शिकायतकर्ता ने किया है। जिस के बाद लोकायुक्त से जांच की प्रगति को लेकर मुंबई पुलिस को फटकार लगाईं गई थी। ऐसे में पुलिस ने गजानन पाटिल को गिरफ्तार किया था। लेकिन, अब इस मामले को सबूतों के अभाव में लोकायुक्त ने बंद कर दिया है।
कांग्रेस को है कुछ मुद्दों पर आपत्ति
उधर कांग्रेस ने इन मुद्दों पर आपत्ति उठायी है। राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटील ने मीडियाकर्मियों से मुंबई में बात करते हुए कहा है कि, एकनाथ खड़से पर लगे आरोपों की जांच के लिए SIT का गठन होना चाहिए था न कि किसी रिटायर्ड जज के कमीशन का। कांग्रेस चाहती है की, हाई कोर्ट की निगरानी में बनी SIT आरोपों की जांच करें। इस मांग को लेकर कांग्रेस हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करनेवाली है।
राजस्व मंत्री रहते हुए खड़से पर जमीन हथियाने के हैं कई आरोप
राजस्व मंत्री रहते हुए एकनाथ खड़से पर राज्य में जमीन हथियाने के कई आरोप लगे। इन में पुणे ज़िले की भोसरी MIDC और जलगाव ज़िले की जलगाव MIDC की सरकारी जमीन को खरीदने का मामला प्रमुखता से सामने आया है। इन आरोपों को एकनाथ खड़से पहले ही नकार चुके हैं।
घूसखोरी के एक मामले में मिली है खड़से को राहत
इस बीच घूसखोरी के आरोप के एक मामले में खड़से को राहत मिल गयी है। महाराष्ट्र लोकायुक्त एम एल तहलियानी ने एकनाथ खड़से के खिलाफ़ घूसखोरी की शिकायत रद्द की है। लोकायुक्त ने मामले को जाँच के बाद तथ्यहीन बताकर बंद किया है।इस मामले में शिकायतकर्ता रमेश जाधव का कहना था की गजानन पाटील नामक व्यक्ति ने खुद को खड़से का PA बताते हुए 30 करोड़ रु की घूस मांगी थी। ये रकम शिक्षा संस्थान के लिए जमीन आवंटन करने के लिए मांगी जाने का दावा शिकायतकर्ता ने किया है। जिस के बाद लोकायुक्त से जांच की प्रगति को लेकर मुंबई पुलिस को फटकार लगाईं गई थी। ऐसे में पुलिस ने गजानन पाटिल को गिरफ्तार किया था। लेकिन, अब इस मामले को सबूतों के अभाव में लोकायुक्त ने बंद कर दिया है।
कांग्रेस को है कुछ मुद्दों पर आपत्ति
उधर कांग्रेस ने इन मुद्दों पर आपत्ति उठायी है। राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटील ने मीडियाकर्मियों से मुंबई में बात करते हुए कहा है कि, एकनाथ खड़से पर लगे आरोपों की जांच के लिए SIT का गठन होना चाहिए था न कि किसी रिटायर्ड जज के कमीशन का। कांग्रेस चाहती है की, हाई कोर्ट की निगरानी में बनी SIT आरोपों की जांच करें। इस मांग को लेकर कांग्रेस हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करनेवाली है।
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