प्रतीकात्मक चित्र
मुंबई:
महाराष्ट्र में दाल के बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार अधिकतम खुदरा मूल्य अर्थात MRP तय करने जा रही है। इसी के साथ सरकार ने तय मूल्य से महंगी दाल बेचनेवाले व्यापारियों को जेल भेजने का कानूनी प्रावधान भी किया है।
मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने दाल के दामों को नियंत्रित करने के लिए कानून का मसौदा मंजूर किया। इसे अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद महाराष्ट्र में दाल व्यापारियों पर नए प्रतिबंध लागू होंगे। महाराष्ट्र दाल दाम नियंत्रण कानून 2016 के तहत, दाल का अधिकतम खुदरा मूल्य सरकार तय करेगी।
3 महीने से 1 साल तक की जेल की सजा संभव
उत्पादन मूल्य, यातायात और व्यापारियों के मुनाफे को जोड़कर दाल के दाम तय होंगे। इस वजह से राज्य के हर हिस्से में सरकारी दाम भी अलग हो सकते हैं। यह सरकारी दाम खुले और ब्रांडेड दाल की बिक्री पर भी लागू होंगे। सरकारी दाम से महंगी दाल बेचनेवाले व्यापारी को 3 महीने से 1 साल तक जेल भेजा जाएगा। महाराष्ट्र के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट ने मुंबई में संवाददाताओं को बताया कि देश में ऐसी व्यवस्था किसी और राज्य में नहीं है।
90 लाख टन दाल की कमी का अंदेशा
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक, आयातक और ग्राहक देश है। लेकिन देश में लगातार पिछले दो मॉनसून से फैले सूखे के चलते इस साल दाल आपूर्ति में 90 लाख टन कमी का अंदेशा है। इस कमी का फायदा लेने के लिए दाम उछालने का आरोप व्यापारियों पर हो रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए एकतरफ सरकारी कोशिश हो रही है, तो दूसरी तरफ़ व्यापारी महंगी दालों की जिम्मेदारी नहीं स्वीकार रहे हैं। इंडियन पल्सेस एन्ड ग्रेन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने NDTV इंडिया से बातचीत में कहा कि दाल के दाम मांग और आपूर्ति का गणित बिगड़ने की वजह से डंवाडोल हुए हैं। इसके लिए व्यापारी जिम्मेदार नहीं हैं। देश में 90 लाख टन दाल की कमी का अंदेशा है। इतनी ज्यादा जमाखोरी नामुमकिन है।
वैसे महाराष्ट्र में दाल के दाम नियंत्रण में रखने में राज्य सरकार लगातार फेल साबित हुई है। मौजूदा सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट ने दाल के जमाखोरों के खिलाफ एस्मा लगाने की बात कही थी। लेकिन न जमाखोरों पर एस्मा लगा, न दाल सस्ती हुई। ऐसे में अब दाल पर MRP लगाने का कदम महाराष्ट्र सरकार उठाने जा रही है।
मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने दाल के दामों को नियंत्रित करने के लिए कानून का मसौदा मंजूर किया। इसे अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद महाराष्ट्र में दाल व्यापारियों पर नए प्रतिबंध लागू होंगे। महाराष्ट्र दाल दाम नियंत्रण कानून 2016 के तहत, दाल का अधिकतम खुदरा मूल्य सरकार तय करेगी।
3 महीने से 1 साल तक की जेल की सजा संभव
उत्पादन मूल्य, यातायात और व्यापारियों के मुनाफे को जोड़कर दाल के दाम तय होंगे। इस वजह से राज्य के हर हिस्से में सरकारी दाम भी अलग हो सकते हैं। यह सरकारी दाम खुले और ब्रांडेड दाल की बिक्री पर भी लागू होंगे। सरकारी दाम से महंगी दाल बेचनेवाले व्यापारी को 3 महीने से 1 साल तक जेल भेजा जाएगा। महाराष्ट्र के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट ने मुंबई में संवाददाताओं को बताया कि देश में ऐसी व्यवस्था किसी और राज्य में नहीं है।
90 लाख टन दाल की कमी का अंदेशा
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक, आयातक और ग्राहक देश है। लेकिन देश में लगातार पिछले दो मॉनसून से फैले सूखे के चलते इस साल दाल आपूर्ति में 90 लाख टन कमी का अंदेशा है। इस कमी का फायदा लेने के लिए दाम उछालने का आरोप व्यापारियों पर हो रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए एकतरफ सरकारी कोशिश हो रही है, तो दूसरी तरफ़ व्यापारी महंगी दालों की जिम्मेदारी नहीं स्वीकार रहे हैं। इंडियन पल्सेस एन्ड ग्रेन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने NDTV इंडिया से बातचीत में कहा कि दाल के दाम मांग और आपूर्ति का गणित बिगड़ने की वजह से डंवाडोल हुए हैं। इसके लिए व्यापारी जिम्मेदार नहीं हैं। देश में 90 लाख टन दाल की कमी का अंदेशा है। इतनी ज्यादा जमाखोरी नामुमकिन है।
वैसे महाराष्ट्र में दाल के दाम नियंत्रण में रखने में राज्य सरकार लगातार फेल साबित हुई है। मौजूदा सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट ने दाल के जमाखोरों के खिलाफ एस्मा लगाने की बात कही थी। लेकिन न जमाखोरों पर एस्मा लगा, न दाल सस्ती हुई। ऐसे में अब दाल पर MRP लगाने का कदम महाराष्ट्र सरकार उठाने जा रही है।
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