MP में हफ्ते भर में दो बच्चों की कुपोषण से मौत, सरकार ने बताया लापरवाही को वजह

ये हालात उस राज्य में हैं जिसका रिकॉर्ड शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में बेहद खराब है.

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भोपाल:

'मिड डे मील' प्रधानमंत्री पोषण योजना बन गया. तभी पिछले हफ्ते एक खबर आई कि भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 94 स्थान से फिसलकर 101वें स्थान पर पहुंच गया है. खूब हो हल्ला मचा तो सरकार की सफाई आ गई,  आंकड़े जमा करने के तरीके पर सवाल उठे. ग्लोबल हंगर इंडेक्स का कहना है कि FAO के जिस टेलिफोन पोल का हवाला देकर रिपोर्ट पर सवाल उठे हैं, उसका इस्तेमाल रिपोर्ट में हुआ ही नहीं है. इन सबके बीच मध्यप्रदेश से आई ये रिपोर्ट है जहां हफ्ते भर में 2 बच्चों की कुपोषण से मौत हुई है, वैसे सरकारी रिकॉर्ड्स में इसको भी लापरवाही में रखा गया है.

मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी ने हर सरकारी कार्यक्रम से पहले कन्या पूजन को अनिवार्य बनाया. अब उप-चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं ने हर घर में कन्या पूजन किया. लेकिन शायद शिवपुरी में कुपोषित आदिवासी बच्ची लक्ष्मी का घर छूट गया. एक साल की लक्ष्मी 7-10 किलोग्राम की होनी चाहिये थी, लेकिन उसका वजन ढाई किलो था. अति कुपोषित वार्ड में भर्ती थी लेकिन बच नहीं पाई, परिवार कहता है अस्पताल ने लापरवाही बरती.

श्योपुर के सहरिया तो सालों से कुपोषण का दंश झेल रहे हैं. एक साल का बबलू भी अतिकुपोषित था, वजन लगभग 5 किलो, 14 दिन तक एनआरसी में रहा लेकिन ज़िंदगी की जंग हार गया. डॉक्टर कहते हैं मां की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई. बच्चों के पेट खाली हैं लेकिन स्कूल में सरकार ने उन्हें डायनिंग टेबल पर खिलाने की योजना बनाई है.

जानकार मानते हैं, ऐसी बातों से ही हंगर इंडेक्स में देश शतक पार कर चुका है. सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन का कहना है, 'हंगर इंडेक्स का मूल्यांकन देश जो डेटा देता है उससे होता है. फूड सिक्योरिटी तभी मानी जाती है जब प्रोटीन, फैट सब शामिल होता है क्या सिर्फ गेंहू, चावल देकर फूड सिक्योरिटी मान लेंगे.'

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ये हालात उस राज्य में हैं जिसका रिकॉर्ड शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में बेहद खराब है. एसआरएस सर्वे 2018 के मुताबिक मध्यप्रदेश में 100000 में शिशु मृत्यु दर 56 है, जबकि राष्ट्रीय औसत दर 36 है. वहीं मातृ मृत्यु दर 173 है, राष्ट्रीय औसत दर 113 है. 

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