26 जून को टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में एक बार फिर से बाघ का शिकार हुआ. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में घुसकर बाघ का शिकार किया गया. इतना ही नहीं, शिकारी अपने साथ उसका सिर काटकर ले गए. इसको लेकर वन-विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस तरह से शिकार का मकसद तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास हो सकता है. हालांकि, टाइगर स्टेट में बाघ और इंसानी टकराव का ये पहला मामला नहीं है .
26 जून को सतपुड़ा के डबरा देव बीट में बाघ का शव मिला, जिसकी गर्दन कटी हुई थी. 29 जून को वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने बाघों के शिकार के खतरे को लेकर सतपुड़ा, पेंच, तडोबा, अमनगढ़, कॉरबेट, पीलीभीत, राजाजी, समेत बालाघाट, गढ़चिरौली, चंद्रपुर जैसे इलाकों के लिये रेड अलर्ट जारी किया .जिसके बाद 6 जुलाई को बाघ का सिर मिल गया और कुछ दूरी पर टूटे दांत भी मिले, लेकिन आरोपी नहीं मिला. बाघ का सिर धांसई गांव के नजदीक मिला. हैरत की बात ये है कि धांसई के ही एक आदिवासी युवक ने पिछले दिनों वन विभाग की पूछताछ के बाद फांसी लगाई थी.
देश में 2023 में करीब 100 बाघों की मौत हुई है. इसमें सबसे ज्यादा 26 मौत मध्यप्रदेश में दर्ज हुई है.साल 2022 में भी मध्यप्रदेश में 36 बाघों की मौत हुई थी जो देश में सबसे ज्यादा थी.
हालांकि, सिर्फ बाघ का ही शिकार नहीं हुआ है. सिवनी के सिल्लोर में बाघ ने इंसानी बस्ती में घुसकर मवेशी को निशाना बनाया. उमरिया के बांधवगढ़ में महुआ बीनने गई एक बुजुर्ग महिला बिसरती बैगा पर बाघ ने हमला बोल दिया. राजधानी भोपाल के करीब मदर-बुल फार्म में तो बाघ कई बार झपट्टा मार चुका है, लेकिन कुछ दिनों पहले गायों का झुंड भारी पड़ा, और बाघ भाग गया.
बाघ और इंसानों के बीच टकराव हो रहा है. हर शिकार के बाद कोर एरिया में रहने वाले लोग परेशान हो रहे हैं. सतपुड़ा के कोर एरिया से लेकर बफर जोन में रह रहे आदिवासियों ने अपनी परेशानियों का जिक्र किया. हालांकि, एस टी आर बफर जोन के घाना गांव के नरेंद्र कहते हैं उन्हें वन विभाग से कोई दिक्कत नहीं है.
टाइगर प्रोजेक्ट की 50वीं वर्षगांठ पर इसी साल बताया गया कि बाघों की संख्या 2967 से बढकर 3167 हो गई है. पिछली गणना के मुताबिक, मध्यप्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व में 526 बाघ थे जो और बढ़ गये. हालांकि उनकी मौत एक फिक्र बनी हुई है.