मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाले में उलझ गई है. यहां ऐसे व्यक्तियों के नाम पर भी इस योजना के तहत आवास बांटे गए हैं, जिनकी मौत आज से 4-5 साल पहले हो चुकी है. धनतेरस के दिन बड़ा कार्यक्रम करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों साढ़े चार लाख गरीबों को पीएम आवास दिलाया गया था.
एनडीटीवी की टीम ने सतना जिले की एक ग्राम पंचायत में इस योजना के लाभार्थियों के घर का दौरा किया. लेकिन वहां के हालात कुछ और ही सच्चाई बयां कर रहे हैं. वहां जिन भी लोगों को इस योजना का लाभार्थी बताया गया था, वे टूटे फूटे और कच्चे घरों, झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं.
एनडीटीवी की टीम लालमनि चौधरी के घर पहुंची. इनके नाम पर भी पीएम आवास योजना के तहत घर आवंटित हुआ है. वहां पहुंचने पर पता लगा कि इनकी मौत साल 2016 में ही हो गई थी. लेकिन फिर भी साल 2021-22 में उनके नाम पर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ, घर भी बना, पैसे भी निकले. हालांकि, ये सब कागजों में ही हुआ है. असलियत यह है कि उनकी विधवा पत्नी, दिव्यांग बेटा कच्चे घर में ही रहते हैं और उन्हें कोई पैसा नहीं मिला.
जब इनके पास मौजूद कागजातों को खंगाला गया तो पता चला कि इनके बैंक खातों में पैसा किस्तों में पहुंचा है. हालांकि, इन्हें कुछ भी नहीं मिला है. वहीं, इनके बैंक अकाउंट की पासबुक में भी किसी तरह के अमाउंट ट्रांजेक्शन की कोई जानकारी नहीं है.
लालमनि के बेटे का कहना है, 'हमारे बैंक खाते में कोई भी पैसा नहीं आया है. जब हमने यह कागज निकलवाया तो हमें इसकी जानकारी हुई है. पहले हमें कोई जानकारी नहीं थी. इसके बाद हमने ग्राम सचिव से कहा तो उन्होंने कहा कि मैं कहीं से जुगाड़ करके इंतजाम कर दूंगा.'
धनतेरस के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली से ही वर्चुअली राज्य के गरीबों को उनके ‘सपनों के घरों' में ‘प्रवेश' करवाया था.
पीएम मोदी वाले कार्यक्रम में सीएम शिवराज और उनके कैबिनेट के सदस्य सतना में करोड़ों के मंच पर मौजूद थे. बता दें, जिस मंच पर ये विराजमान थे, उसकी लागत करीब 3 करोड़ रुपए थे. लेकिन जहां पर यह कार्यक्रम हो रहा था, उससे 40 किलोमीटर दूर जाने पर पता चलेगा कि करीब 650 घर जांच के घेरे में हैं. हालांकि, प्रशासन का कहना है कि इनकी जांच के लिए 10 टीमें गठित की हैं. लेकिन कैमरे पर बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है. कलेक्टर ने बैठक का बहाना किया, मंत्री ने पूजा में बैठे होने का बहाना किया.
हालांकि, प्रशासन की प्रेस रिलीज के मुताबिक, उन्हें यह पता चला है कि 75 लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई है. इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
सतना ज़िले की रहिकवारा के जिस पूर्व सरपंच बलवेन्द्र सिंह के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। वह सतना ज़िला बीजेपी के लगातार 2 बार अध्यक्ष रहे सुरेन्द्र सिंह का भाई है.
रहिकवारा ग्राम पंचायत की रहने वाली सुंदी बाई की कहानी भी लालमनि जैसी ही है. उन्हें भी कागजों में शौचालय, राशन, आवास सब कुछ मिला. लेकिन वह अभी भी झोपड़ी में रहने को ही मजबूर हैं, क्योंकि असलियत में उन्हें कुछ दिया नहीं गया. सुंदी बाई का बेटा और वह खुद ठीक से सुन नहीं पाते.
वहीं, मुन्नीबाई का खपरैल का घर ढह गया. सरकारी कागजातों में तो मुन्नीबाई पीएम आवास के निर्माण के हर एक चरण में तस्वीर खिंचवाती दिख रही हैं. इतना ही नहीं, इन्हें भी लालमनि की तरह कागजातों में घर की चार किस्तें मिल गई हैं. लेकिन मुन्नीबाई अपने खपरैल के घर में बेटों के साथ रहती हैं. उन्हें सरकार की ओर से पीएम आवास के लिए कोई घर नहीं मिला. उन्हें यह भी नहीं पता कि उनका पैसा हड़प लिया गया है.
सरकारी कागजातों में लोगों के बैंक अकाउंट में घरों के निर्माण के लिए किस्त जारी कर दी गई है. लेकिन तहकीकात करने पर पता चला कि ऐसे कई लोग हैं, जिनका बैंक में खाता ही नहीं हैं. वहीं, पीएम आवास के निर्माण के हर चरण में लाभार्थियों की जो तस्वीरें लगाई गई हैं, वो किसी और की लगा दी गई हैं.
ये अकेले प्रधानमंत्री आवास योजना की बात नहीं है, कई सरकारी योजनाओं का ये ही हाल है. सतना जिले में 600 से ज्यादा ग्राम पंचायत हैं. ये एक ग्राम पंचायत का हाल है. इस ग्राम पंचायत में 1200 से ज्यादा शौचालय स्वीकृत थे. लेकिन एनडीटीवी की टीम को पूरे गांव में 6-7 घरों में ही शौचालय मिले, वो भी टूट चुके हैं. लोग उनका इस्तेमाल नहीं करते.