विवाह योजना का पैसा कब तक? कई परिवार बरसों से कर रहे हैं इंतजार

प्रशासन कह रहा है कोरोना की वजह से हितग्राही अपात्र हुए. सवाल ये है कि कोरोना काल में राजनीतिक रैलियों पर भी तो प्रतिबंध था.

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भोपाल:

मध्यप्रदेश सरकार ने गरीब, जरुरतमंद, परिवार में शादी के लिए साल 2006 से मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना शुरू की गई थी. अब हालात ऐसे हैं कि कई ऐसे परिवार हैं जो योजना की राशि के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं और दर-दर भटक रहे हैं. प्रशासन कह रहा है कि कोरोना में शादी पर पाबंदी थी शायद इसलिये ऐसा हुआ हो. भोपाल से 200 किलोमीटर दूर आगर-मालवा जिले में काशीबाई कॉलोनी में रहने वाले कन्हैयालाल राठौर पंजीकृत श्रमिक हैं. बिटिया की शादी किए लगभग डेढ़ साल हो गये, सारे कागजात दे दिये लेकिन मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की रकम अब तक नहीं मिली. मैंने 70-80000 कर्जा लिया था, मैंने सोचा था 51000 मिल जाएगा तो चुका दूंगा लेकिन मैं नगरपालिका जाता हूं तो बोलते हैं भोपाल से मंजूर नहीं हुआ साल भर से चक्कर लगा रहा हूं.

छावनी इलाके में कमरून बी और इकबाल की 4 बेटियां हैं, मज़दूरी करते हैं, इन्हें भी उम्मीद थी कि मामा की सरकारी जेब से योजना के पैसे मिलेंगे. बेटी शायना की शादी कर्ज लेकर कर दी, उसका बच्चा भी हो गया. पैसे तो नहीं मिले उल्टा फरवरी 2021 में नगर पालिका से खत आ गया कि वो अपात्र हैं. ससुराल वालों ने भी घर से निकाल दिया. कमरून कहती हैं 'हमने नगरपालिका में मजदूरी डायरी से आवेदन दिया, पैसा नहीं मिला, दहेज की वजह से वहां से भगा दिया. कर्जा बहुत हो गया वो भी परेशान कर रहे हैं. वहीं शायना का कहना है कि सरकार से यही बोलना चाहती हूं कि जो 51000 बोले थे वो दे दें तो मां-बाप का कर्जा पट जाए.

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दायमा गली के रहने वाले संजय सोलंकी ड्राइवर हैं, उनकी बेटी शिवानी भी पात्र हितग्राही थी लेकिन अब अपात्र हो गये. जब पात्रता थी तब आवेदन दिया था महीने भर लग गये कागज इकठ्ठा किया ऐन टाइम पर नोटिस दे दिया कहा अपात्र हो गये.

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फातमा मस्जिद कॉलोनी के असरत अली और उनकी पत्नी कि जिंदगी मशीन के स्पेयर की तरह है जो कभी चलती है कभी रुक जाती है, हम्माली और मजदूरी से घर चलता है, पत्नी थोड़े बहुत कपड़े सी लेती हैं. बेटी मुस्कान की शादी 21 जून 2020 को की, इन्हें भी विवाह योजना की राशि का इंतज़ार है. 'मैंने शादी जून के महीने में कर दी कर्जा लेकर. धीरे-धीरे भरके परेशान हूं, परिवार में 5 लोग हैं परिवार का पेट भरना आफत है. मैं मजदूरी करता हूं, पात्रता 2022 तक है लेकिन अभी निरस्त कर दिया.'

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योजना में हितग्राही को कुल 51000 रु दिये जाते हैं, 48,000 रु. कन्या के खाते में, सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित करने वाले निकाय को 3,000 रुपये. योजना में अभी तक कुल 179210 आवेदन मिले, 99262 स्वीकृत हुए. मुख्यमंत्री निकाह योजना में 14676 आवेदन आए और सिर्फ 8215 स्वीकृत हुए. पिछले 8 महीने में सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी 47000 शिकायतें मिलीं, 88 बंद हो गई, जिसमें विवाह-निकाह योजना से जुड़ी 972 शिकायतें हैं.

जिम्मेदारों के अपने तर्क है, आगर-मालवा नगर पालिका सीएमओ बने सिंह सोलंकी कहते हैं, 'कोरोना में शादी पर प्रतिबंध लगा था. उस वक्त अगर किसी ने आवेदन दिया हो तो शायद अपात्र हो गये होंगे, विस्तृत जानकारी सामाजिक न्याय विभाग से मिल पाएगी.'

कांग्रेस के वक्त भी योजना को लेकर विवाद हुआ था जब प्रशासन ने हितग्राहियों से लाभ लेने के लिये शौचालय के साथ सेल्फी की बात कही थी. पहले सहायता राशि ₹6000 थी जिसे बाद में ₹25000 किया, कमलनाथ सरकार ने ही इसे ₹51000 किया था. कोरोना काल में जब सरकार मजदूरों की मदद का ढोल बजा रही थी उसी काल में श्रमिक परिवारों ने अपनी बेटियों की शादी इस ख्वाब के साथ की थी कि सरकार से मदद मिलेगी मगर गम के उन 4 दिनों में सितम के 4 दिन और बढ़ गए.

प्रशासन कह रहा है कोरोना की वजह से हितग्राही अपात्र हुए. सवाल ये है कि कोरोना काल में राजनीतिक रैलियों पर भी तो प्रतिबंध था.

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