मध्य प्रदेश में पिछले साल स्थानीय निकाय के चुनाव हुए. सरकार ने ऐलान किया था कि जिन पंचायतों में निर्विरोध पंच-सरपंच चुने जाएंगे उन्हें पुरस्कार दिया जाएगा, लेकिन साल भर हो गया राशि किसी को नहीं मिली है. हालांकि सरकार का कहना है कि रकम स्वीकृत हो गई है, कुछ ही दिनों में ये पैसे मिल जाएंगे.
गुना पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया का जिला है, उनके निर्वाचन क्षेत्र के ग्राम पंचायत डिगडौली के सरपंच सहित पंच भी निर्विरोध चुने गये हैं. सारे पंच-सरपंच महिला सदस्य हैं, यही नहीं बमौरी कि जनपद अध्यक्ष भी इसी गांव की हैं. सरकारी ऐलान के मुताबिक, 15 लाख रुपये मिलने थे, लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला है.
ग्राम पंचायत डिगडोली में निर्विरोध जनपद अध्यक्ष चुनी गईं गायत्री भील कहती हैं कि जैसे ही पैसे आएंगे, हम दे देंगे. वहीं सरपंच चंदाबाई ने कहा कि सरकार ने 15 लाख रुपये देने की घोषणा की थी, अभी तक कुछ नहीं दिया. दे देते तो नाली, खरंजा बना देते.
'घोषणा कर दी, राशि नहीं मिली'
धार जिले के धरमपुरी जनपद पंचायत में पंधानिया में गांववालों में सरपंच और पंचों को निर्विरोध चुना. सोचा था पुरस्कार में मिलने वाली राशि से गांव का भला होगा, लेकिन अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ है. गांववानों ने पंधानिया के सरपंच के रूप में प्रकाश दसाने को निर्विरोध चुना था. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रीजी ने घोषणा तो कर दी, लेकिन कोई राशि नहीं मिली.
भानपुरा पंचायत में भी यही हाल हैं. पैसा नहीं मिलने से सरपंच परेशान है. भुवानिया में सारी महिलाएं निर्विरोध चुनी गईं, लेकिन पैसा नहीं मिला. सरपंच किरण पाटीदार ने कहा कि इसलिये निर्विरोध पंचायत बनी थी, जिससे राशि मिलेगी तो मांगलिक भवन का निर्माण करवाएंगे. हम चाहते हैं जल्द से जल्द राशि मिले और मांगलिक भवन बन जाए.
303 पंचायतों में निर्विरोध सरपंच
मध्यप्रदेश में लगभग 22,000 पंचायते हैं. मध्यप्रदेश में 303 पंचायतों में निर्विरोध सरपंच चुने गए. सरकार ने ऐलान किया था कि इन्हें 5-15 लाख रु. दिये जाएंगे. इन्हें समरस पंचायतों का नाम दिया गया था. शासन का कहना है 5146 लाख रुपये स्वीकृत हो गए हैं.
ऑर्डर हो चुका है : सिसोदिया
राज्य सरकार के मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि 8 कैटेगरी दी गई हैं, ऑर्डर हो गया है और निकल भी चुका है. जितने निर्विरोध हैं, सब प्रसन्न हैं. उन्होंने कहा कि अप्रूवल हो चुका है, मैं नहीं समझता कोई दिक्कत आएगी.
वादे को साल भर
वायदे को साल भर हो गए. चुनावी साल आ गया है, ऐसे में फाइल में स्वीकृति के बजाए सरपंच चाहते हैं कि पैसे जल्द से जल्द खाते में आ जाएं.
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