मध्य प्रदेश में पिछले चार वर्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 33 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में शुक्रवार को राज्य विधानसभा में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले दो वर्षों में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है.
आंकड़ों में कहा गया है कि जनवरी 2018 से नवंबर 2021 के बीच लगभग चार साल की अवधि में एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 33,239 मामले दर्ज किए गए. इसमें 2020 में सबसे अधिक 9,664 मामले जबकि इस साल के 11 महीनों में 9,249 मामले दर्ज किए गए हैं.
वर्ष 2018 में इस अधिनियम के तहत कुल 6,852 मामले तथा 2019 में 7,474 मामले दर्ज किए गए थे. इसी के साथ पटवारी ने महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े मामलों में सालाना सजा प्रतिशत की भी जानकारी मांगी थी. इसके उत्तर में कहा गया कि पिछले सात वर्षों में मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से जुड़े मामलों में सालाना औसत 27 प्रतिशत दोष सिद्धि हुई है. इसमें कहा गया है कि 2015 में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में सजा की दर 27.16 प्रतिशत, 2016 में 27.34 प्रतिशत, 2017 में 26.98 प्रतिशत, 2018 में 23.15 प्रतिशत, 2019 में 29.39 प्रतिशत, 2020 में 26.10 प्रतिशत और 2021 में 28.29 प्रतिशत थी.