कोरोना वायरस (Coronavirus) से मौत के आंकड़ों को लेकर मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) के दावे लगातार झूठे साबित हो रहे हैं. सरकार कहती है उसे आंकड़े छिपाकर कुछ नहीं मिलेगा लेकिन श्मशान, कब्रिस्तान में मौत के दर्ज आंकड़े कह रहे हैं कि सरकार झूठ बोल रही है. पिछले माह मध्यप्रदेश में कोरोना से 5424 मौत के आंकड़े सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हैं जबकि अकेले अप्रैल 2021 में इससे दोगुना मौतें मध्यप्रदेश के श्मशानों और कब्रिस्तानों के रिकॉर्ड में हैं.
भोपाल के सबसे बड़े भदभदा श्मशान के दफ्तर में जब कर्मचारी पन्ने पलटने लगे तो कई महीने मार्च के आंकड़े दिखाने में खप गए. 20-25 पन्नों में अप्रैल के आंकड़े सरकार शायद नहीं देखती, इन कर्मचारियों ने बाकायदा कोरोना की मौतों को लाल स्याही से दर्ज किया है, कारण भी लिखा है, मोबाइल नंबर भी. ममतेश शर्मा सचिव हैं भदभदा विश्राम घाट के, वो बताते हैं कि मार्च में 307 मृतक देह आईं, 152 सामान्य, 155 कोरोना लेकिन अप्रैल में विस्फोटक स्थिति आई. 2052 मृतक भदभदा में आए, 398 सामान्य, 1652 कोरोना से संक्रमित. उन्होंने बताया, यहां परिजन फॉर्म भरते हैं, पूरा रिकॉर्ड रहता है शासन के विभाग हैं पुलिस, सीआईडी, प्रतिदिन आंकड़ा लेकर जाते हैं.
यही हाल शहर के पहले कोरोना के लिये निर्धारित झदा कब्रिस्तान का है, लगातार अप्रैल में शव आते रहे. कमेटी का कहना है ऐसा खौफनाक मंज़र उन्होंने कभी नहीं देखा. झदा क्रबिस्तान कमेटी के अध्यक्ष रेहान गोल्डन ने बताया, 'अप्रैल में भयानक स्थिति थी, 30 साल से कब्रिस्तान को देख रहा हूं. अप्रैल का ऐसा महीना, 388 शव आए. कभी ऐसा नहीं आया, रोज 4-5 शव आते थे. इस बार 15-18, 32 शव तक आए. सरकार 100 में 100 फीसद आंकड़े छिपा रही है, कुछ नर्सिंग होम के आंकड़े हैं जो सीधे घर को शव दे रहे हैं.
सरकार पहले ही कह चुकी है उसको आंकड़े छिपाकर अवॉर्ड नहीं मिलने वाला. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा चाहे डेथ का मामला हो या डेथ ऑडिट का ना इसको छिपाने की मंशा है ना जरूरत है, सरकार कोई आंकड़ा छिपा नहीं रही है. लेकिन सरकारी दावों से इतर अकेले भोपाल में कब्रिस्तान और श्मशान के आंकड़े जोड़ें तो कोरोना के 3811 शवों का अंतिम संस्कार हुआ जिसमें भोपाल जिले से 2557 शव थे.
लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे अप्रैल में कोरोना से भोपाल में सिर्फ 104 मौत हुई. पूरे कोरोना काल में पूरे राज्य में मौत का सरकारी आंकड़ा अबतक 6420 है. जबकि भोपाल में 795.
महामारी में जनता को सबसे पहले जो जानना चाहिये वो है सच. लेकिन सरकारों ने आंकड़ों का ही अंतिम संस्कार कर दिया, नहीं तो संभव है कि एक साल में अकेले जितनी मौत सरकार बताए खुद अंतिम यात्रा के आखिरी साक्षी यानी श्मशान और कब्रिस्तान उससे दोगुने तिगुने आंकड़े दर्ज कर लें.