सतना के राजस्व विभाग के अधिकारी कमाल और लाजवाब हैं. कभी किसी कर्मचारी को 60 साल की आयु में दो साल पहले ही रिटायमेंट देकर अपनी खिल्ली उड़वाते हैं, तो किसी कर्मचारी को रिटायरमेंट के आठ साल बाद जूनियर पद से ट्रांसफर देकर प्रदेश भर में किरकिरी कराते हैं. राजस्व विभाग ने सरकार की ट्रांसफर नीति के तहत विगत दिनों 1992 में प्रमोशन, 2015 में रिटायरमेंट पाने वाले रामसखा बागरी को जुलाई 2023 में पटवारी के तौर पर ट्रांसफर कर दिया. हालांकि, जब मामले पर अधिकारियों की नजर पड़ी तो आनन-फानन में उस आदेश को रद्द कर दिया गया.
बताया जाता है कि स्थानांतरण नीति 2022-23 के अनुसार, सभी अनुविभागीय कार्यालय से कर्मचारियों के स्थानांतरण की सूची तैयार की गई. इस सूची में रामसखा बागरी का नाम भी शामिल कर दिया गया. रामसखा बागरी राजस्व निरीक्षक के तौर पर थे, लेकिन अनुभाग के रिकार्ड में उन्हें पटवारी दर्शाया गया. जब तक आदेश बाहर नहीं आया तब तक किसी को यह भी नहीं पता था कि रामसखा कौन हैं? लिहाजा भू-अभिलेख कार्यालय ने पटवारियों की तबादला सूची कलेक्टर को भेज दी. संभवत: बिना परीक्षण उपरांत सूची को प्रभारी मंत्री के पास पहुंचा दिया गया.
प्रभारी मंत्री ने भी तबादला सूची को अनुमोदित कर दिया. इसके बाद जिला स्तर से तबादला आदेश भी जारी हो गए. आदेश क्रमांक 1230 में रामसखा बागरी पटवारी तहसील नागौद का तबादला मझगवां सतना के लिए किया था. रामसखा पटवारी 2015 में सोहावल से रिटायर हो चुके हैं. इतना ही नहीं 1992 में ये पटवारी पद से राजस्व निरीक्षक के पद पर पदोन्नत हुए थे.
इस मामले में जब एडीएम शैलेन्द्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैहर में पदस्थ पटवारी रामचरण का स्थानांतरण नागौद के लिए किया था. इसी नाम से मिलता जुलता नाम रामसखा होने के कारण दूसरा आदेश भी जारी हो गया. यह संयोग ही है कि इस नाम से पूर्व में पटवारी रह चुका है.जैसे ही यह मामला संज्ञान में आया था ,उसे तुरंत प्रभाव से निरस्त कर दिया गया.