PM आवास योजना में बने अधूरे मकानों पर भी लगा दी मुहर, MP में टारगेट पूरा करने के चक्कर में खेल?

अकेले डिंडौरी ज़िले में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक 67,504 हितग्राहियों को आवास स्वीकृत कर राशि जारी कर दी गई है, लेकिन 11,108 आवास अधूरे हैं.

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सेंदुरखार गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के कई घर अधूरे

भोपाल:

प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद पत्र लिखेंगे. एक बार फिर से लाभार्थियों के घरों में पीएम मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीरों वाली सिरेमिक टाइल लगेंगी. ये और बात है कि मध्य प्रदेश में डिंडौरी जैसे कई जिलों में टारगेट पूरा करने के चक्कर में अफसरों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने आधे-अधूरे मकानों को भी सरकारी रिकार्ड में पूर्ण दर्शा दिया है. 

आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले के सेंदुरखार गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के कई घर अधूरे हैं. बैगा हितग्राहियों का आरोप है कि दलालों ने मकान बनाने के नाम पर उनसे आवास योजना की किश्तें ले लीं और आधा अधूरा मकान बनाकर छोड़ दिया.

ग्रामीण समारू का घर पीएम आवास योजना की वेबसाइट में पूरा हो चुका है, लेकिन हकीकत कुछ अलग है. समारू के बड़े भाई महर सिंह की भी कहानी यही है. अकेले सेंदुरखार गांव में दो दर्ज़न से अधिक पीएम आवास फाइलों में बन चुके हैं, हकीकत में अधूरे हैं.

पीएम आवास योजना के लाभार्थी समारू ने कहा कि नेमी दास नाम के शख्स को 3 किस्त दे दिया, लेकिन घर आधा बनाकर छोड़ दिया. अपने पैसों से छत डलवा रहा हूं. 56,000 लग रहे हैं. लाभार्थी महर सिंह की पत्नी गुड्डी बाई कहती हैं कि 3 साल हो गए हमारा घर नहीं बन पा रहा है. तीन किस्त दे चुके हैं. 

अकेले डिंडौरी ज़िले में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक 67,504 हितग्राहियों को आवास स्वीकृत कर राशि जारी कर दी गई है, लेकिन 11,108 आवास अधूरे हैं.

चांडा गांव में 13 फरवरी को ही केन्द्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने तीन बैगा हितग्राहियों को गृह प्रवेश करवाया उसी गांव में कई आवास सालों से अधूरे हैं.

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कुछ दिनों पहले भी हमने दिखाया था कि कैसे गौराकन्हारी में कच्चे मकानों को ही पीएम आवास घोषित कर दिया गया, यहां तक की सरपंच ललिया बाई और उनके रिश्तेदारों के आवास में भी पक्की छत के नाम पर छप्पर है.

स्थानीय विधायक और कांग्रेस सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम ने कहा, "गरीब का पैसा निकाल कर खा जाते हैं. आवास बनता नहीं हैं. कई प्रकरण हैं. सुनने में अच्छा लगता है कि 2022 तक सबके घर पर छत होगी, लेकिन आज हालात क्या हैं."

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स्थानीय सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कांग्रेस विधायक के बयान पर कहा कि कुछ लोगों का स्वभाव होता है विरोध का. जो नॉर्म हैं उसके हिसाब से घर बनते हैं. हो सकता है एक-दो घर में ऐसी परिस्थिति आई हो.

ये हालात तब हैं जब राज्य में पिछले महीने 3.50 लाख आवासों को स्वीकृति मिली है. पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत राज्य में 30,85,000 आवासों के निर्माण का लक्ष्य है. दावा अबतक 23,07,000 आवास बनाने का है. यही नहीं सरकार का दावा है कि इस काम के लिये 51,000 से अधिक राज मिस्त्रियों को तेजी से प्रशिक्षित किया गया, जिसमें 9 हजार महिलाएं हैं.

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वैसे एक और काम - मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को पीएम के नाम धन्यवाद पत्र लिखना होगा, अपने घरों में पीएम मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीरों वाली सिरेमिक टाइल लगवाने होंगे. कहने को योजना स्वैच्छिक है लेकिन पंचायत सचिवों को 100% भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. वैसे टाइल्स वाले अभियान को 2018 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद रोकना पड़ा था

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