भाजपा के पूर्व राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार झूठ बोलकर प्रदेश के किसानों को बरगलाने का काम कर रही है. रामविचार नेताम ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर धान खरीदी में झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि भूपेश बघेल कहते हैं कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ का 80 फीसदी धान नहीं खरीदा है. राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोगों को आधा झूठ बोलते हुए देखा गया है. लेकिन सफेद झूठ केवल भूपेश बघेल ही बोल सकते हैं. नेताम ने कहा कि केंद्र सरकार 80 फीसदी धान खरीदती है, साथ ही साथ कुल भुगतान का भी तीन-चौथाई से ज्यादा हिस्सा देती है केंद्र एफसीआई के माध्यम से राज्य सरकार से चावल उपार्जित करती है. सच्चाई यह भी है कि केंद्र सरकार ने हर साल प्रभावी रूप से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा खरीदे हुए धान का लगभग 80 प्रतिशत खरीदी की है.
केंद्र सरकार बिना भेदभाव के किसानों के हित में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के मंत्री भी सरेआम झूठ बोल रहे हैं. धान खरीदी पर केवल झूठ ट्वीट किये जा रहे हैं. लेकिन सच्चाई को ज्यादा देर तक जनता से नहीं छुपाया जा सकता है.
आकड़ों के साथ धान खरीदी की जानकारी दी
उन्होंने बताया कि वर्ष 21-22 में 92 लाख मीट्रिक टन धान से बना 61.65 लाख मीट्रिक टन चावल जो कुल खरीदी का 93.90 प्रतिशत, वर्ष 22-23 में 87.58 मीट्रिक टन धान ( 58.68 टन चावल) मतलब 81.45 प्रतिशत खरीदी की. भाजपा ने जो आंकड़े प्रस्तुत किये हैं वे जनता के सामने है. फिर भी कृषिमंत्री चौबे झूठ बोलते हुए जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं. एक तो यह गलत आंकड़े देते हैं, उसके ऊपर से कृषि मंत्री होते हुए भी रविन्द्र चौबे धान और चावल की तुलना कर रहे हैं?
सरकार के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत विधान सभा में स्वीकार करते हैं कि धान किसानों के भुगतान का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा केंद्र सरकार देती है. उन्होंने विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि केंद्र सरकार ने धान खरीदी का 51 हजार 563 करोड़ रुपए दिया है व राज्य सरकार ने मात्र 11,148 करोड रुपए ही दिया है.
नेताम ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने किसान के हित में कार्य किया है एक तरफ जहां केंद्र सरकार हर साल एमएसपी बढ़ाती है, यहां भूपेश सरकार अपना बोनस घटाती है. किसान केंद्र द्वारा बढ़ाई गई एमएसपी के लाभ से वंचित ही रह गए है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से भी लगभग 13 लाख किसान वंचित रह गए हैं. भूपेश बघेल सरकार उनका पंजीकरण (e-kyc) नहीं कर रही है.