महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) द्वारा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने के फैसले को ‘‘गलत'' और उम्मीदवारों के साथ ‘‘अन्याय'' करार देते हुए कड़ी आलोचना की. पैठण में अपनी चुनावी रैली से पहले पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत में याचिका या विचाराधीन मामलों के कारण अंतिम क्षण में चुनाव रद्द करना उन उम्मीदवारों के खिलाफ अन्याय है, जिन्होंने नामांकन प्रक्रिया पूरी कर ली है.
सीएम फडणवीस ने जोर देकर कहा कि मैं नहीं जानता कि निर्वाचन आयोग किससे सलाह ले रहा है, लेकिन कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति के अदालत का रुख करने मात्र से चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते. मुख्यमंत्री ने निलंगा (लातूर) का उदाहरण दिया और कहा कि स्थगन पूरी तरह से गलत है, क्योंकि इससे उम्मीदवारों का 'पूरी मेहनत बर्बाद हो गयी है' और उन्हें '15 दिन और प्रचार करना होगा.'
निलंगा में एक उम्मीदवार की उम्मीदवारी खारिज होने और उसके अदालत जाने के कारण चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद मतदान को अंतिम समय में स्थगित कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि 'कल (स्थगन के खिलाफ) निर्वाचन आयोग को कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे. उन्होंने जिलाधिकारियों के साथ बैठक भी की, लेकिन कुछ चुनावों को स्थगित करने का निर्णय ले लिया गया। हमें इस निर्णय को स्वीकार करना होगा, लेकिन यह निर्णय गलत है.
उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनावी रैली के लिए पैठण रवाना होने से पहले संवाददाताओं से बातचीत में एसईसी के इस फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और कहा कि एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद चुनाव कभी नहीं रोके जाते। उन्होंने इस पर और जानकारी जुटाने की बात कही. गठबंधन सहयोगियों भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सिंधुदुर्ग में जारी तनाव पर फडणवीस ने स्पष्ट कहा कि वह किसी भी 'गलत व्यक्ति' का साथ नहीं देते, भले ही वह उनकी पार्टी का हो.
उन्होंने कहा कि राणे बनाम राणे वाली स्थिति अच्छी नहीं है और हमें चुनाव के बाद आत्मनिरीक्षण करना होगा. यह टिप्पणी तब आई जब शिंदे गुट के विधायक नीलेश राणे के खिलाफ एक भाजपा-समर्थक के घर में घुसने के आरोप में सिंधुदुर्ग पुलिस ने शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की. नीलेश ने दावा किया था कि भाजपा-समर्थक के घर से मतदाताओं को बांटने के उद्देश्य से नकदी बरामद की गयी है.














