- NDTV के मंच पर महाराष्ट्र CM फडणवीस ने ठाकरे ब्रदर्स के पुनर्मिलन का श्रेय मजकिया अंदाज में स्वीकार किया.
- ठाकरे परिवार के रि-यूनियन को फडणवीस ने राजनीतिक मजबूरी बताया और इसका चुनावों पर असर कम माना.
- उन्होंने यह भी कहा कि ठाकरे ब्रांड का मतलब केवल बालासाहेब ठाकरे थे, अब ब्रांड का बैंड बन चुका है.
बुधवार को NDTV मराठी समिट में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे ब्रदर्स पर बड़ा बयान दिया है. बुधवार को पालघर में NDTV मराठी द्वारा आयोजित "अनस्टॉपवेल महाराष्ट्र" कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे ब्रदर्स के रि-यूनियन का श्रेय मजकिया अंदाज में स्वीकार किया. फडणवीस ने कहा कि जो कोई नहीं कर सका, वो मैंने कर दिखाया. NDTV मराठी के मंच से फडणवीस ने कहा, "आज की राजनीतिक स्थिति उन्हें यह विश्वास दिलाती है कि एकजुट होकर वे अपना हिस्सा बढ़ा सकते हैं." उन्होंने आगे कहा, "ठाकरे परिवार के पुनर्मिलन का श्रेय मुझे देने के लिए मैं राज ठाकरे का आभारी हूं. जो कोई नहीं कर सका, वो मैंने कर दिखाया."
राज ठाकरे ने कहा था- जो बाला साहेब नहीं कर सके, वो फडणवीस ने कर दिखाया
मालूम हो कि महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव पर ठाकरे ब्रदर्स ने बड़ा विरोध किया था. इस विरोध के बाद जब सरकार ने यू-टर्न ले लिया था. इसके बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मुंबई के वर्ली में एक विशाल विजय रैली आयोजित की थी. इसी रैली में महाराष्ट्र नवनिर्माण प्रमुख राज ठाकरे ने कहा था- "उद्धव (ठाकरे) और मैं 20 साल बाद एक साथ आ रहे हैं. जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, हजारों अन्य लोग नहीं कर सके, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया."
ठाकरे ब्रांड का मतलब सिर्फ बालासाहेब ठाकरे ही थाः फडणवीस
हालांकि फडणवीस ने ठाकरे ब्रदर्स के रि-यूनियन को "राजनीतिक मजबूरी" बताया. उन्होंने कहा- "मुझे नहीं लगता कि इससे चुनावों में कोई फर्क पड़ेगा". देवेंद्र फडणवीस ने यह भी कहा कि 'ठाकरे ब्रांड' का मतलब बालासाहेब ठाकरे ही था, उनके बाद कोई ब्रांड नहीं बना. अब कोई ब्रांड नहीं है, ब्रांड का बैंड बज चुका है! मौजूदा नेतृत्व ने बालासाहेब की वैचारिक विरासत को आगे नहीं बढ़ाया है. इसे तो सिर्फ एकनाथ शिंदे ने ही आगे बढ़ाया है.
BMC चुनाव से पहले एक हुए ठाकरे भाई
मालूम हो कि बाला साहेब ठाकरे के नेतृत्व में आगे बढ़े राज और उद्धव ठाकरे शिवसेना नेतृत्व की कमान पर छिड़ी जंग के बाद 2005 में अलग हो गए थे. लेकिन त्रिभाषा पॉलिसी के विरोध ने इन दोनों को एकजुट कर दिया. अब एशिया का सबसे धनी नगर निगम बृहन्मुंबई नगर निगम के चुनाव में ठाकरे ब्रदर्स की भूमिका पर सबकी नजरें टिकी है. जिस पर कभी अविभाजित शिवसेना का दबदबा था.
यह भी पढ़ें - 'म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ही नहीं 2029 का चुनाव भी साथ लडे़ंगे', NDTV मराठी कॉन्क्लेव में CM फडणवीस का बड़ा ऐलान














