मुंबई में बरसाती बीमारियों का कहर, अब तक 41 की मौत, नवंबर तक पीक पर होंगे मामले

मुंबई (Mumbai) में मौसमी बीमारियों (Seasonal Diseases) के कारण 41 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इसमें सबसे ज्‍यादा लेप्टोस्पायरोसिस ने कहर बरपाया है.

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मुंबई:

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में इस मॉनसून (Monsoon) के दौरान जमकर बारिश हुई है. इसके कारण एक तरफ बारिश में होने वाली जानलेवा दुर्घटनाएं हैं तो दूसरी ओर बरसाती बीमारियों का कहर. मुंबई में बरसाती बीमारियों से 41 मरीजों की मौत हो चुकी है. बीएमसी ने परेशान करने वाला ये आंकड़ा जारी किया है. बीमारियों के कारण हर कोई इसकी चपेट में है और कई मरीज वेंटिलेटर पर हैं. 

मुंबई में बरसाती बीमारियों के कारण अस्पताल फिर भरने लगे हैं. बरसाती बीमारियों के प्रकोप के कारण कई बुजुर्ग और बच्चे ग्रसित हैं. इस वर्ष मुंबई में अब तक 41 लोगों की मौत लेप्टोस्पायरोसिस, डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू और हेपेटाइटिस से हुई है.  

लेप्टोस्पायरोसिस से 18 लोगों की मौत 

लेप्टोस्पायरोसिस ने सबसे ज्‍यादा कहर बरपाया है, इससे 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. वहीं डेंगू से 12, स्वाइन फ्लू से 5, मलेरिया से 5 और दूषित पानी पीने से होनेवाली बीमारी हेपेटाइटिस से एक व्यक्ति की मौत हुई है. 

बीएमसी स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, अगस्त की तुलना में सितंबर में मरीजों में इजाफा देखने को मिला है. अगस्त महीने में मलेरिया से 1171, डेंगू से 1013 लोग संक्रमित हुए थे. वहीं सितंबर महीने में मलेरिया से 1261 और डेंगू से 1456 लोग संक्रमित मिले हैं.

जून-जुलाई में बढ़े मरीज, अक्‍टूबर-नवंबर में पीक 

सौमैया आईसीयू की क्रिटिकल केयर फिजिशियन डॉ. गुंजन चंचलानी ने कहा कि जून-जुलाई से मरीज काफी बढ़े हैं. डेंगू के मरीज बहुत जल्दी गंभीर हो रहे हैं. आईसीयू में मल्टी ऑर्गन फेलियर के साथ मरीज आ रहे हैं. बारिश जाते जाते कुछ मरीज आते हैं. पीक अब अक्टूबर-नवम्बर में देखेंगे. 

मुंबई के केजे सोमैया अस्पताल में मुंबई भर के अस्पतालों से गंभीर मरीज लाए जाते हैं. पीडिएट्रिक आईसीयू में 13 बेड हैं और सब भरे हैं. सारे मरीज बरसाती बीमारियों से ग्रसित हैं. 

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डेंगू के आ रहे 20-25 फीसदी मरीज : डॉ. अली 

पीडिएट्रिशन डॉ. इरफान अली ने कहा कि मैं एक दिन में करीब 80 मरीज वॉर्ड लेवल पर देख रहा हूं. करीब 20 से 25 फीसदी मरीज डेंगू के हैं. नौ मरीज वेंटिलेटर पर हैं और बच्‍चे बहुत बुरी कंडीशन में आ रहे हैं. 

डॉ इरफान बताते हैं कि किस तरह से 21 दिन से बरसाती निमोनिया से ग्रस्त नवजात बच्चा वेंटिलेटर पर है और उसके लंग्स काम नहीं कर रहे हैं. वहीं यहां नौ महीने के एक डेंगू मरीज में बीमारी ने ब्रेन और हार्ट तक को भी डैमेज कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि ऐसी कंडीशन में बच्चों को बचाना बहुत मुश्किल होता है. 

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डेंगू-मलेरिया के मरीज अक्टूबर-नवम्बर महीने में तेजी से बढ़ते हैं. मुंबई में बरसाती बीमारियों के कारण अभी 41 मौतें रिपोर्ट हो चुकी हैं तो जाहिर है कि आने वाले करीब पचास से ज्‍यादा दिन और मुश्किल हो सकते हैं. 
 

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