पुणे ज़मीन घोटाला मामला!  अफसरों पर कार्रवाई होगी शुरू, उच्च स्तरीय समिति का हुआ गठन 

सरकार ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खारगे की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय जांच समिति का भी गठन किया है.

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पुणे:

पुणे में हुए जमीन खरीद घोटाले को लेकर जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं. इस घोटाले को लेकर अब प्रशासन एक्शन मोड में दिख रही है. पुणे में जमीन खरीद से जुड़े बड़े घोटाले का खुलासा होने के साथ ही, पुणे के तहसीलदार सूर्यकांत येवले को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. उप-रजिस्ट्रार रवीन्द्र तारु को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. हालांकि, तहसीलदार येवले का निलंबन बताया जा रहा है की पार्थ पवार से जुड़ी विवादित जमीन के बजाय, बोपोडी के एक अन्य जमीन मामले में किया गया है. जिसमें सरकारी ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर, कानूनी तथ्यों को नज़रअंदाज़ करने के आरोप लगे हैं. निलंबन की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं. 

लेनदेन की जांच के लिए एक समिति गठित

सरकार ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खारगे की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय जांच समिति का भी गठन किया है. यह समिति यह पता लगाएगी कि सरकारी जमीन निजी कंपनी को कैसे बेची गई और स्टाम्प शुल्क में छूट नियमों के अनुसार दी गई थी या नहीं. पुणे के मुंढवा में पार्थ पवार की कंपनी के नाम पर जमीन घोटाले के आरोप लग रहे हैं, जिस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जांच के आदेश दिए हैं 

पार्थ पवार से जुड़ी विवादित जमीन पर बड़ा खुलासा

पार्थ पवार द्वारा खरीदी गई ज़मीन महार वतन की ही थी, इसका प्रमाण; यह ज़मीन 1962 में सरकार को हस्तांतरित कर दी गई थी. उस पर बॉटनीकल गार्डन बना हुआ है. इस जगह का रेसिडेंशियल दर 8 से 10 हज़ार रुपये प्रति वर्ग फुट है. वहीं, व्यावसायिक कमर्शियल दर 20 हज़ार रुपये प्रति वर्ग फुट है. नागरिकों का अनुमान है कि इससे ज़मीन का मूल्य 1800 करोड़ रुपये है. इस लेन-देन में, तेजवाणी को 2006 में महार वतन धारकों ने पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी थी. उसी के आधार पर यह लेन-देन किया गया. इसके लिए वतन धारकों ने 10 से 15 हज़ार रुपये लिए थे. यह दस्तावेज़ पार्थ पवार से जुड़े एक ज़मीन ख़रीद मामले पर विशिष्ट और विवादास्पद विवरण प्रस्तुत करता है. 

सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, स.नं. 62 के 7/12 पर मालिकाना हक में "एग्रीकल्चर डेरीकडे" लिखा है, जो एक सरकारी विभाग का नाम है. यह जगह बॉटनिकल गार्डन और दुग्ध डेरी की है. रिकॉर्ड के अनुसार, यह जमीन 1962 में ही सरकार के पास हस्तांतरित हो गई थी. बावजूद इसके, कानूनी और वास्तविक स्थिति को नज़रअंदाज़ करते हुए मालिकाना हक संबंधी आदेश दिए, जिससे यह सरकारी जमीन निजी लोगों को हस्तांतरित हुई.

इस क्षेत्र में आवासीय दर ₹8,000 से ₹10,000 प्रति वर्ग फुट है, जबकि व्यावसायिक दर ₹20,000 प्रति वर्ग फुट है. अनुमान है कि इस जमीन का मूल्य लगभग ₹1800 करोड़ हो सकता है. आरोप है कि इस लेन-देन में, वतन धारकों ने 2006 में तेजवाणी को पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी और बदले में ₹10,000 से ₹15,000 लिए थे, जिसके आधार पर बाद में यह व्यवहार किया गया.

इस बीच, सूचना अधिकार कार्यकर्ता RTI Activist विजय कुंभार ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि पुणे में जिस जमीन खरीद घोटाले की बात हो रही है, वह जमीन पुणे शहर में नहीं बल्कि मुल्शी तालुका में है. कुंभार ने इस जमीन खरीद प्रकरण में उप मुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार सहित अधिकारी वर्ग भी शामिल होने की आशंका जताई है और सभी संबंधित अधिकारियों की जांच की मांग की है.

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