पुणे भूमि घोटाले में अब तक क्या हुआ? जानिए इससे जुड़े बड़े अपडेट्स

पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है. इसकी वजह है कि इसमें अजित पवार के बेटे का नाम आ रहा है.

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  • महाराष्ट्र डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ की कंपनी से जुड़े सरकारी जमीन सौदे की जांच महत्वपूर्ण चरण में
  • आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपी शीतल तेजवानी से पांच घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की
  • अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को बिक्री दस्तावेज में नाम न होने के कारण आरोपी नहीं बनाया गया
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पुणे:

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी से जुड़े कथित अवैध सरकारी जमीन सौदे मामले की जांच अब एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है. इस मामले की आरोपी शीतल तेजवानी से आर्थिक अपराध शाखा EOW द्वारा हाल ही में 5 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ हो चुकी है, जिसमें उन्होंने बिक्री समझौते और पावर ऑफ अटॉर्नी से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज पुलिस को सौंपे हैं.

पार्थ पवार को नहीं बनाया गया आरोपी

फिलहाल, पार्थ पवार को बिक्री दस्तावेजों में नाम न होने के कारण आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन उनके बिजनेस पार्टनर दिग्विजय पाटिल और एक निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येओले अन्य आरोपियों में शामिल हैं. पार्थ पवार को आरोपी नहीं बनाया गया है क्योंकि बिक्री दस्तावेज यानी सेल डीड में उनका नाम नहीं है. आरोप है कि शीतल तेजवानी ने 40 एकड़ सरकारी जमीन, जो बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया को लीज पर थी.

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स्टाम्प ड्यूटी में करोड़ों की धांधली

ज़मीन को पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल की फर्म अमैडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेचने का सौदा किया. तेजवानी ने कथित तौर पर 272 पूर्व मालिकों की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी के तहत यह सौदा किया था. पुलिस अब इन 272 लोगों की भूमिका की जांच कर रही है. जिन्होंने तेजवानी को पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी और उनसे भी पूछताछ की जा सकती है. जांच में सामने आया कि अमैडिया एंटरप्राइजेज को कथित रूप से 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी में अवैध छूट दी गई थी.

क्या है मामला

पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है. यह जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP नामक कंपनी को बेची गई थी, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भागीदार हैं. विवाद इसलिए भी बढ़ गया है, क्योंकि यह जमीन सरकारी बताई जा रही है और इस सौदे में आवश्यक स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी. इसके अलावा, विपक्षी दलों का आरोप है कि संबंधित जमीन की वास्तविक कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये थी. कहा गया कि डिप्टी सीएम के बेटे को 1800 करोड़ की सरकारी जमीन 300 करोड़ में दे दी गई.

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