- महाराष्ट्र में सरकारी अस्पतालों की लगभग 45 हजार नर्सें वेतन, पदोन्नति मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर.
- नर्सों ने सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद वेतन कमियों को दूर न किए जाने के कारण हड़ताल शुरू की है.
- हड़ताल के कारण राज्य के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही.
महाराष्ट्र में सरकारी अस्पतालों की हजारों नर्सें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं.18 जुलाई से शुरू हुई इस हड़ताल में 30 हजार नर्सों ने अपनी सेवाएं पूरी तरह बंद कर दीं हैं. इससे राज्य के बड़े सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकता है. महाराष्ट्र में सरकारी अस्पताल की हजारों नर्सों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चिकालीन हड़ताल का आह्वान किया है, सातवें वेतन आयोग को लागू करते समय वेतन कमियों को दूर न करने के कारण, महाराष्ट्र राज्य नर्सेज एसोसिएशन के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन काम बंद शुरू किया गया है.
यह हड़ताल महाराष्ट्र स्टेट नर्सिंग एसोसिएशन द्वारा शुरू की गई,15 और 16 जुलाई को मुंबई के आजाद मैदान में राज्य भर की नर्सो ने धरना प्रदर्शन किया था, इसके बाद नर्सों ने 17 जुलाई को एक दिन के लिए काम बंद कर विरोध जताया. इस प्रदर्शन में काम पूरी तरह से बंद नहीं किया गया था, लेकिन आज से नर्सें पूरी तरह हड़ताल पर चली गई हैं.
नर्सों की प्रमुख मांगें
- वेतन कमियों का निवारण: हेड नर्स और नर्स और प्रशिक्षण अधिकारी के पदों पर कर्मचारियों के वेतन में सुधार किया जाए.
- केंद्र सरकार की तर्ज पर नर्सों के लिए 5400 रुपये ग्रेड पे, वर्दी भत्ता लागू किया जाए.
- पदोन्नति नीति में बदलाव किया जाए और समय पर पदोन्नति दी जाए.
- नर्सों को चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत 100 फीसदी पोस्टिंग और पदोन्नति के अवसर दिए जाएं.
- एक स्वतंत्र नर्सिंग निदेशालय तुरंत स्थापित किया जाए.
- जीएनएम और बीएससी नर्सिंग छात्रों की समस्याओं का समाधान किया जाए और उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की जाए.
- नर्सों के खाली पदों को तुरंत भरा जाए.
- सरकार की मंजूरी से निर्णयों को तुरंत लागू किया जाए, जिसमें शामिल हैं
महाराष्ट्र राज्य नर्स संगठन की अध्यक्ष मनीषा शिंदे ने बताया, 'राज्य की लगभग 45 हजार नर्स इस हड़ताल में शामिल हो रही हैं. हमारी मांगों को सुना नहीं जा रहा है. इसलिए हमें हड़ताल करने का फैसला करना पड़ा. इस बीच प्रशासन की ओर से हमें एक लेटर जारी किया गया है कि अगर हम अपनी हड़ताल वापस नहीं लेते हैं, तो हमें सस्पेंड कर दिया जाएगा. एक तरफ हमारी मांगें नहीं सुन रहे हैं और दूसरी ओर हमें सस्पेंड करने का डर दिखा रहे हैं, ये ठीक नहीं है.'