महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ी चूक के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज, लोकतांत्रिक सुधारक राजर्षि शाहू महाराज, समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले और बी.आर. अंबेडकर की पुण्यतिथियों का 2019 के कैलेंडर में उल्लेख नहीं किया है. मंत्रालय के सभी विभागों और राज्य भर के सभी सरकारी कार्यालयों व संगठनों को वितरित किए गए कैलेंडर में फुले (28 नवंबर) और अंबेडकर (छह दिसंबर) सहित इन दिग्गजों की पुण्यतिथियों का जिक्र किसी भी रूप में नहीं है.
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हैरत की बात यह है कि विश्व एड्स दिवस (एक दिसंबर) और विश्व विकलांग दिवस (तीन दिसंबर) जैसे अन्य तिथियों का उल्लेख किया गया है, लेकिन फुले और भारतरत्न आंबेडकर की पुण्यतिथि कैलेंडर में नहीं होने पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.
विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटील ने इस अत्यंत गंभीर चूक के लिए सरकार पर निशाना साधा और जानने की मांग की कि इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा. विखे-पाटील ने कहा, "यह (भाजपा-शिवसेना) सरकार केवल राजनीतिक मकसद के लिए इन दिग्गजों के नामों का उपयोग करती है, लेकिन वह वार्षिक कैलेंडर में उनके नामों को भूल जाती है."
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि यह चूक दो महान हस्तियों फुले और आंबेडकर की यादों का अपमान है. उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से माफी की मांग की. मुंडे ने कहा, "मुख्यमंत्री को इस बात पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि इन दिग्गजों के नाम और चित्र कैलेंडर से कैसे हटाए गए, इसके लिए कौन जिम्मेदार है और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी."
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अंबेडकर की पुण्यतिथि को 'महापरिनिर्वाण दिवस' के रूप में मनाया जाता है. लाखों दलित और बौद्ध अनुयायी उनकी याद में श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मुंबई के दादर में जुटते हैं. शिवाजी महाराज, राजर्षि शाहू और फुले के नाम का इस्तेमाल सभी राजनेता अपने भाषणों और रैलियों में करते हैं. हालांकि, सरकार की ओर से इसपर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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