पुलिस पर भरोसा नहीं! मतदान के बाद स्टॉन्ग रूम के बाहर क्यों खड़े किए प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड

महाराष्ट्र की राजनीति में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है. जलगांव जिले के पाचोरा और भडगांव नगर परिषद के चुनाव में मतदान हो चुका है और उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम (EVM) मशीनों में बंद है, जिन्हें स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा गया है. लेकिन स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात किए गए हैं.

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महाराष्ट्र की राजनीति में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है. जलगांव जिले के पाचोरा और भडगांव नगर परिषद के चुनाव में मतदान हो चुका है और उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम (EVM) मशीनों में बंद है, जिन्हें स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा गया है. लेकिन स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात किए गए हैं. नियम के मुताबिक, स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर पुलिस व्यवस्था सहित विभिन्न सुरक्षा बल मुस्तैद हैं. साथ ही, उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों को भी निगरानी के लिए रुकने की आधिकारिक अनुमति है. लेकिन, इसके बावजूद, शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक किशोर पाटील ने पाचोरा और भडगांव दोनों स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर अपने निजी सुरक्षा गार्ड तैनात कर दिए हैं. किशोर पाटील के ये निजी सुरक्षा गार्ड कथित तौर पर स्ट्रॉन्ग रूम पर नज़र रख रहे हैं.

क्या शिंदे गुट को अपनी ही सरकार की पुलिस पर भरोसा नहीं?

यह कदम राजनीतिक गलियारों में ज़ोरदार चर्चा का विषय बन गया है. राज्य में संभवतः यह पहली बार है जब किसी सत्ताधारी पार्टी के नेता ने आधिकारिक सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ निजी सुरक्षा गार्डों के माध्यम से स्ट्रॉन्ग रूम की पहरेदारी करवाई हो. ज़िले में यह सवाल तेज़ी से उठ रहा है,  क्या शिंदे गुट के नेता को अपनी ही सरकार की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों पर भरोसा नहीं रहा? विधायक किशोर पाटील का यह असामान्य निर्णय दर्शाता है कि वे अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं, या फिर उन्हें मतदान के बाद भी ईवीएम की सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर आशंका है, जिसके चलते उन्होंने सरकारी व्यवस्था को दरकिनार कर निजी पहरेदारी का सहारा लिया है.

जिले में खूब चर्चा

निजी सुरक्षा गार्डों की यह तैनाती राजनीतिक सनसनी बन गई है. जब आधिकारिक सुरक्षा बल और उम्मीदवारों के प्रतिनिधि पहले से ही निगरानी कर रहे हैं, तो विधायक द्वारा इतनी बड़ी निजी व्यवस्था क्यों की गई? इस सवाल ने जलगाँव ज़िले में खूब चर्चा बटोरी है, और 21 दिसंबर की मतगणना से पहले ही यह मामला सुर्खियों में आ गया है.

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